वैज्ञानिकों को अनुसंधान के दौरान पता चला है कि बकरी का दूध एड्स के मरीजों की प्रतिरोधक क्षमता बनाए रखने में मददगार होता है. मथुरा स्थित केंद्रीय बकरी अनुसंधन संस्थान (सीआईआरजी) की वार्षिक समीक्षा बैठक में शुक्रवार को पेश एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है.
बकरी का दूध रोगियों के लिए लाभदायक
बैठक में बकरी के पोषण चारा एवं उत्पाद प्रौद्योगिकी विभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा रामबाबू शर्मा ने बताया कि बकरी के दूध के पोषक महत्व के बारे में किए गए अध्ययन के दौरान पता चला कि बकरी का दूध एचआईवी एड्स प्रभावित रोगियों के लिए अत्यंत लाभदायक होता है.
दूध से सीडी 4 काउन्ट्स में प्रगति
उन्होंने बताया कि कुल नौ महीने तक एड्स के मरीजों पर बकरी के दूध के प्रभाव का अध्ययन किया गया और पाया गया कि बकरी का दूध पीने वाले मरीजों में शुरूआती माह में ही सीडी 4 काउन्ट्स में उल्लेखनीय प्रगति हुई. उनकी संख्या बढ़ने लगी जो एड्स के मरीजों की प्रतिरोधक क्षमता बनाए रखने के लिए जरूरी होती है.
प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है बकरी का दूध
डा शर्मा ने बताया कि एड्स पीड़ित रोगियों में रोग की प्रतिरोधक क्षमता न्यूनतम स्तर पर पहुंच जाती है. इसलिए सामान्य रोगों से भी वह प्रभावित हो जाते हैं. डा शर्मा ने बताया कि भविष्य में इस प्रयोग के सफल होने पर एड्स रोगियों को अपेक्षित इलाज के अलावा बकरी के दूध के सहारे लंबा जीवन देने की उम्मीद की जा सकती है.
बकरी के दूध में सेलेनियम की मात्रा अधिक
अनुसंधान में यह भी पता चला है कि बकरी के दूध में अन्य खनिज तत्वों के अलावा सेलेनियम की मात्रा अधिक होती है. अन्य दुधारू पशुओं के दूध के मुकाबले बकरी के दूध में मौजूद करीब तीन गुना अधिक सेलेनियम की मात्रा रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने में प्रमुख भूमिका निभाती है.
मधुमेह में भी उपयोगी
डा शर्मा ने बताया कि बकरी के दूध में मौजूद वसीय अम्ल ज्यादा आसानी से पचते हैं तथा यह उच्च रक्तचाप, मधुमेह, क्षयरोग और कैंसर आदि रोगों के इलाज में उपयोगी होता है.
20 जून तक चली बैठक
16 से 20 जून तक चली परिषद की बैठक में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के पूर्व महानिदेशक पशु विज्ञानी, केंद्रीय भेड़ एवं वन अनुसंधान संस्थान, राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान, भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान, केंद्रीय भैंस अनुसंधान संस्थान के प्रतिनिधियों और जम्मू कश्मीर विश्वविद्यालय के कुलपति आदि ने भाग लिया.