scorecardresearch
 

मिल गया जवानी का नया फार्मूला!

बढ़ती उम्र को भला कौन रोक पाया है लेकिन विज्ञान एक ऐसा तोहफा दे सकता है जो ना सिर्फ उम्र की बढ़ती रफ्तार को धीमा कर सकता है बल्कि इसके असर को भी काफी हद तक रोक सकता है.

Advertisement
X

बढ़ती उम्र को भला कौन रोक पाया है लेकिन विज्ञान एक ऐसा तोहफा दे सकता है जो ना सिर्फ उम्र की बढ़ती रफ्तार को धीमा कर सकता है बल्कि इसके असर को भी काफी हद तक रोक सकता है. अगर ये करिश्मा कुछ साल पहले होता तो फिर बॉलीवुड के तमाम सुपरस्टार आज भी जवान ही दिखते.

मिल जाएगा जिंदगी का सबसे बड़ा तोहफा
जिंदगी के आखिरी पड़ाव में पहुंच चुके लोग, चेहरे पर उम्र की मार और सबूत के तौर पर त्वचा की बेचारगी, नियम है प्रकृति का, लेकिन अब लोगों को मायूस होने की जरुरत नहीं क्योंकि दिनो दिन परवान चढ़ता मेडिकल साइंस उन्हें दे सकता है जिंदगी का सबसे बड़ा तोहफा. सौगात भी ऐसी वैसी नहीं बल्कि उम्र के आंकड़े में कई सालों के इजाफे वाला उपहार और साथ ही बढती उम्र के सबूत भी हो सकते हैं रफूचक्कर. अमेरिकी वैज्ञानिक एक ऐसी दवा को दुनिया के सामने लाने के करीब पहुंच चुके हैं जिसके बाद मुमकिन है हमारी उम्र में इजाफा हो जाए और बढ़ती उम्र का असर ढूंढने से भी न मिले. न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक वैज्ञानिक उस मुकाम तक पहुंच चुके हैं और प्रयोगशाला में इस चमत्कारी दवा का प्रयोग भी शुरु हो चुका है.

अधिक कैलोरी है नुकसानदायक
वैज्ञानिकों का मानना है कि अधिक कैलोरी की वजह से शरीर जल्द बुढ़ा होता है लेकिन कम कैलोरी डाइट बुढ़ापे पर नियंत्रण रखता है और वैज्ञानिकों की नई खोज कम कैलोरी वाले खाने का ही एक विकल्प होगा. जिसे खाने के बाद आपको हाई कैलोरी डाइट की जरुरत ही महसूस नहीं होगी. द टाइम्स के मुताबिक मेसाच्यूसेट्स के कैम्ब्रिज के सिरट्रिस फर्माच्यूटिकल्स इस नई दवा के प्रयोग में सबसे आगे है. 'रेसवेराट्रॉल' यही नाम है उस मिरेकल मेडिसीन का जिसमे उम्र की रफ्तार को धीमा करने की ताकत है. हालांकि इसे लेकर कुछ वैज्ञानिक आशंका भी जता रहे हैं लेकिन अगर प्रयोग सफल रहा तो फिर नतीजा यकीनन विज्ञान की दुनिया में एक बड़ा अजूबा होगा.

चूहों पर हो रहा है प्रयोग
छोटे जानवरों और चूहों पर इसका प्रयोग कुछ हद तक सफल भी रहा है. बुढ़ापे का मतलब है जीवन के अंत होने की आहट. इसलिए कोई नहीं चाहता कि जवानी का दौर कभी खत्म हो. सदाबहार जवानी का नुस्खा ढूंढने की कवायद लोगों की इसी चाहत से शुरू हुई. आज अमेरिकी प्रयोगशाला में उम्र की रफ्तार को धीमा करने की कवायद जोरो से जारी है. वैज्ञानिकों के मुताबिक बढती उम्र और बुढ़ापे की तेजी बहुत हद तक खाने के तरीके पर निर्भर करती है. उसमे भी अगर खाने में कैलोरी ज्यादा हो तो फिर बुढ़ापे का असर भी जल्दी दिखने लगता है. यानी अगर हम हाई कैलोरी डाइट से जितना अधिक बचेंगे बुढ़ापे को उतना ही दूर धकेल सकते हैं लेकिन असल में ऐसा करना वाकई मुश्किल है.

 हाई कैलोरी डाइट की चाहत होगी पूरी
सिरटुइन एक्टिवेटर' यही नाम है दवाओं के ऐसे समूह का जो इंसान की हाई कैलोरी डाइट की चाहत को पूरा करेगा. रेसवेराट्रॉल उन्हीं में से एक अहम दवा का नाम है. शरीर में मौजूद प्रोटीन सिरटुइन कोशिकाओं में ऊर्जा के स्रोत की खोज करता है और रेसवेराट्रॉल सिरटुइन को प्रेरित करने का काम करेगा जो हाई कैलोरी की जरुरत को पूरा करेगा. नतीजा ये होगा कि शरीर अधिक कैलोरी की जरुरत ही महसूस नहीं कर सकेगा. फिलहाल चूहों को पौष्टिक लेकिन सामान्य कैलोरी से 30 प्रतिशत कम कैलोरी वाली खुराक पर रखा गया. परिणाम बेहद चौकाने वाला रहा क्योंकि कम कैलोरी से चूहों में बीमारियों के हमलों में भी कमी आई और उन चूहों की उम्र में 30 से 40 फीसदी तक का इजाफा देखा गया. हालांकि उनकी प्रजनन क्षमता में थोड़ी कमी जरुर देखी गई. {mospagebreak}

वैज्ञानिक और शोधकर्ताओं में है मतभेद
मेसाच्यूसेट्स की सिरट्रिस फर्माच्यूटिकल्स ने इन दवाओं के प्रयोग पर काम भी शुरु कर दिया है. माना यही जा रहा है कि जब चूहों पर किया गया प्रयोग कामयाब रहा है तो फिर मुमकिन है कि इंसानों पर भी अगर इसी फॉर्मूले को लागू किया जाए तो नतीजा यकीनन पक्ष में ही जाएगा. हालांकि जवानी को बरकरार रखने के इस नए फॉर्मूले को लेकर कई वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं में मतभेद भी है. अमेरिकी वैज्ञानिक गैरी रूवकुन, जैन विग और ज्यूडिथ कैम्पिसी इसे एक कोरी कल्पना मानते हैं. जैन विग के मुताबिक ये सिरटुइन एक्टिवेटर दवाओं का प्रयोग छोटे जानवरों पर तो कामयाब रह सकता है लेकिन इंसानों में इसकी कामयाबी पर मुहर नहीं लगाई जा सकती. भले ही वैज्ञानिक बुढ़ापे को दूर भगाने और इसके लक्षण पर लगाम लगाने की प्रक्रिया पर चल रहे प्रयोग से सहमत न हों लेकिन इतना तो जरुर है कि इसकी वजह से इंसानों और जैव शोधकर्ताओं की कोशिशों में तेजी जरुर आएगी.

भारत में हजारों साल पहले आई जवानी के नुस्खे
आज विज्ञान भले ही बढती उम्र को मात देने की कोशिशो में जुटा है और कोई पुख्ता और ठोस कामयाबी नहीं मिल पाई हो लेकिन भारत में सदाबहार जवानी के नुस्खे का ब्यौरा सैकड़ों-हज़ारों साल से मौजूद है. पुराणों में दर्ज़ है च्यवन ऋषि की वो कथा, जब उन्हें हमेशा युवा बनाने वाला दिव्य अमृत लेकर आए थे देवताओं के वैद्य अश्विनी कुमार. पौराणिक कथा के मुताबिक, सतयुग में अरण्यक वन में च्यवन ऋषि तपस्या में इतने लीन थे कि उनके शरीर पर चींटियों ने बांबी बना ली थी. तभी वहां राजा शर्याति अपनी रानियों औऱ इकलौती बेटी सुकन्या के साथ पहुंचे. चींटियों की बांबी से चमकती ऋषि च्यवन की दो आंखों को सुकन्या ने कुछ और समझा और एक लकड़ी से कुरेद दिया. ऋषि च्यवन दर्द से कराह उठे, तब राजा शर्याति ने इस पाप का प्रायश्चित करने के लिए सुकन्या का विवाह च्यवन ऋषि से कर दिया. सुकन्या अपने पति च्यवन ऋषि की सेवा करती रही. उसकी भक्ति से खुश होकर देवताओं के वैद्य अश्विनी कुमार 52 जड़ी-बूटियों से बना एक खास अवलेह लेकर आए. उस अवलेह के सेवन से च्यवन ऋषि की आंखों की रोशनी ही नहीं, बल्कि जवानी भी लौट आई.

52 जड़ी-बूटियों के गुण बस एक गोली में
आयुर्वेद के जानकार मानते हैं कि च्यवन ऋषि को जिन 52 जड़ी-बूटियों का अवलेह मिला था, वो च्यवनप्राश था, जिसे आज भी सेहत का नायाब नुस्खा माना जाता है. अब वैज्ञानिक जवानी का जो फॉर्मूला तैयार करने की कवायद में जुटे हैं, उसे देखकर तो यही लगता है कि च्यवन ऋषि को मिली 52 जड़ी-बूटियों के गुण बस एक गोली में समा जाएंगे. रापामाइसिन नाम के केमिकल को जवानी की गोली में तब्दील करने में अमेरिका के टेक्सस की बार्शोप इंस्टीट्यूट ऑफ लॉन्गेटिविटी एंड एजिंग स्टडीज़ के वैज्ञानिक दिन-रात एक किए हुए हैं. इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर डॉक्टर एर्लन रिचर्डसन का दावा है कि उनकी टीम एंटी एजिंग ड्रग यानी लंबे समय तक जवान बनाए रखने वाली दवा का नुस्खा काफी हद तक ढूंढ चुकी है.

20 साल बढ़ जाएगी उम्र
डॉक्टर रिचर्डसन के मुताबिक, अगर एंटी एजिंग ड्रग इंसानों पर कारगर रही, तो लोगों की उम्र कम से कम 20 साल बढ़ जाएगी. फिलहाल इस गोली का चूहों पर कामयाब प्रयोग किया जा चुका है. 35 साल से एंटी एजिंग दवा खोजने में जुटे डॉक्टर रिचर्डसन का कहना है कि वो तो हताश हो चुके थे कि अपने जीते जी ऐसी कोई दवा देख पाएंगे लेकिन ईस्टर आइलैंड की मिट्टी में मिले रापामाइसिन नाम के केमिकल ने नामुमकिन को मुमकिन कर दिखाया. विज्ञान पत्रिका नेचर में जवानी की गोली का जो ब्यौरा छपा है, उसके मुताबिक प्रशांत महासागर के अनोख टापू ईस्टर आइलैंड की मिट्टी में एक खास बायो केमिकल मिला. इस आइलैंड का पुराना नाम रापा नुइ था, इसलिए केमिकल को नाम दिया गया 'रापामाइसिन'. {mospagebreak}

उम्र के असर की रफ्तार सुस्त हो जाती है
एंटी एजिंग ड्रग बनाने में जुटे वैज्ञानिकों का दावा है कि रापामाइसिन बढ़ती उम्र के साथ शरीर में बनने वाले सेल्स पर बहुत असरदार है. ये एजिंग सेल्स बनना रोकता है, जिससे शरीर पर उम्र के असर की रफ्तार सुस्त हो जाती है. इससे किसी इंसान की औसत उम्र में 28-38 फीसदी तक इजाफ़ा हो सकता है. नेचर पत्रिका के मुताबिक डॉक्टर रिचर्डसन की टीम के साथ-साथ अमेरिका की मिशिगन यूनिवर्सिटी और बार हार्बर की जैकसन लैबोरेटरी के वैज्ञानिक भी एंटी एजिंग ड्रग बनाने में जुटे हैं और उन्हें यकीन है कि बहुत जल्द आम लोगों के हाथ में हो सकती है सदाबहार जवानी की गोली. लेकिन वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं की मेहनत रंग लाएगी इसको लेकर शंका और संशय भी बरकरार है. कई ऐसे एक्पर्ट हैं जो इसकी सफलता को लेकर सहमत नहीं हैं.

भविष्य की दवा का इस्तेमाल इंसानों में नामुमकिन
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की शोधकर्ता लायन कोक्स के मुताबिक रापामायसिन से बनी दवा शरीर की रोगों से लड़ने की ताकत को कमजोर कर सकती है. लायन कॉक्स कहती हैं कि प्रयोगशाला में चूहों पर किया गया दवाओं का प्रयोग बेहद कामयाब रहा लेकिन इंसानों की उम्र बढ़ाने के लिए इसका इस्तेमाल किसी भी लिहाज से नहीं किया जा सकता है क्योंकि एंटीफंगस एजेंट रापामायसिन मनुष्यों की रोग प्रतिरोधक क्षमता को खत्म कर देता है. इस लिहाज से रापामायसिन से बनने वाली भविष्य की दवा का इस्तेमाल इंसानों में नामुमकिन है. फिलहाल इसका इस्तेमाल उन मरीजों पर किया जाता है जिनका अंग प्रत्यारोपण का ऑपरेशन किया जाता है. इन मरीजों की प्रतिरोधक क्षमता जब शरीर में शामिल किए जा रहे नए अंगों को कबूल करने रुकावट बनती है तो फिर दवाओं के जरिए इसे अनुकूल बनाया जाता है.

बुढ़ापा की परिभाषा भूल जाएंगे लोग
हालांकि अभी रापामायसिन का इस्तेमाल इंसानों की उम्र बढ़ाने के तौर नहीं किया गया है कि लेकिन आने वाले दिनों में इसे उस उम्मीद के तौर पर जरुर देखा जा रहा है जहां से उम्र को हरा देने की कहानी की शुरुआत हो सकती है. भले ही जवानी बरकार रखने के नए फॉर्मूले को लेकर होने वाली मुश्किलों के कयास लगाए जा रहे हैं लेकिन इतना तो तय है कि अगर प्रयोग कामयाब रहता है तो फिर बुढ़ापा किसे कहते हैं लोग शायद इसकी परिभाषा भी भूल जाएं.

Advertisement
Advertisement