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कोकीन का नशा छोड़ने से भी बुरा है दिल टूटने का दर्द

कहते हैं दिल टूटने की आवाज नहीं होती. लेकिन इसका असर आपके शरीर के लिए काफी हानिकारक हो सकता है. सीने में दर्द तो होता ही है, साथ ही दिमाग काम नहीं करता, नशा करने की इच्छा प्रबल होती है, त्वचा मुरझा जाती है, और दुनिया बेरंग लगती है. भूख, प्यास और नींद गायब हो जाती है.

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कहते हैं दिल टूटने की आवाज नहीं होती. लेकिन इसका असर आपके शरीर के लिए काफी हानिकारक हो सकता है. सीने में दर्द तो होता ही है, साथ ही दिमाग काम नहीं करता, नशा करने की इच्छा प्रबल होती है, त्वचा मुरझा जाती है, और दुनिया बेरंग लगती है. भूख, प्यास और नींद गायब हो जाती है. साथ ही वजन भी बढ़ने लगता है. यहां तक कि हार्ट अटैक का खतरा भी मंडराने लगता है.

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कहते हैं कि प्यार एक नशे की तरह है. और दिल टूटने का असर बिलकुल वैसा ही होता है जैसे कोकीन के किसी चरसी को उसके नशे से दूर कर दिया हो. न्यूयॉर्क की स्टोनी ब्रूक यूनिवर्सिटी की रिसर्च के मुताबिक इससे दिमाग के साथ-साथ शरीर पर भी काफी बुरा असर पड़ता है.

डिप्रेशन, चिंता और सोने में तकलीफ
ब्रेअकप के दौरान हमारे शरीर में कोर्टिसोल और एड्रीनलीन जैसे स्ट्रेस हॉर्मोन्स बनते हैं, जिनका काफी बुरा असर होता है. डिप्रेशन और चिंता के अलावा लोगों को इंसोम्निया की बीमारी भी हो सकती है जिसमें नींद नहीं आती. इंसान को इंसानी संपर्क की जरूरत होती है और जब ऐसा कोई करीबी संपर्क टूटता है तो तकलीफ होती है. ब्रेकअप से असुरक्षा महसूस होती है, गुस्सा आता है और मूड खराब रहता है. इंसान शॉक में भी जा सकता है, असहाय महसूस करता है और हर बात के लिए खुद को दोषी मानना शुरू कर देता है. इससे सिर्फ तनाव ही नहीं होता, बल्कि खुदखुशी करने की इच्छा भी पनपती है. ऐसे में हिम्मत नहीं खोनी चाहिए. घरवाले और दोस्त मददगार साबित हो सकते हैं. खुद को ऐसे कामों में लगाए रखें जिसमें खुशी मिलती हो. अकेले खाली बैठने पर हमेशा गलत ख्याल दिमाग में आते हैं.

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सीने में दर्द
कोलंबिया यूनिवर्सिटी के मनोवैज्ञानिकों के अनुसार भावनात्मक रूप से दर्द महसूस करने पर दिमाग की ऐसी नसों का नेटवर्क एक्टिवेट हो जाता है जो शारीरिक दर्द महसूस करती हैं. इसीलिए ब्रेकअप होने या किसी के द्वारा नकार दिए जाने पर शारीरिक रूप से पिटा हुआ महसूस करते हैं.

हार्ट अटैक
ब्रेकअप या तलाक के बाद शरीर कोर्टिसोल और एड्रीनलीन जैसे स्ट्रेस हॉर्मोन्स से भर जाता है. इससे दिल की धड़कनें तेज हो जाती हैं. ब्लड प्रेशर बिगड़ने का खतरा भी बना रहता है. सेक्सुअल एडवाइस एसोसिएशन के चेयरमैन और एक रिटायर्ड ह्रदय रोग विशेषज्ञ डॉक्टर ग्रैहम जैक्सन ने कई लोगों को ब्रेकअप के 15 दिनों के अंदर हार्ट अटैक से मरते देखा है. एड्रीनलीन की मात्रा बढ़ने से शरीर पीला पड़ जाता है. इसका असर बिलकुल ऐसा है जैसे किसी ने कोकेन की भारी मात्रा ली हो. ह्रदय की धमनियां ब्लॉक ना होने पर भी हार्ट अटैक का खतरा रहता है.

त्वचा का खराब होना
स्ट्रेस हॉर्मोन्स की बढ़ी हुई मात्रा त्वचा के साथ भी छेड़छाड़ करती है. स्ट्रेस हॉर्मोन्स का यह कॉकटेल स्किन को खराब करता है. स्ट्रेस और डिप्रेशन का सीधा ताल्लुक सोरायसिस, एक्जिमा, अलोपेसिआ और मुहांसों से है. ब्रेकअप के तनाव के समय इंसान अपने शरीर पर ध्यान देना बंद कर देता है. ऐसे में त्वचा सबसे पहले मुरझाती है. इसके ठीक विपरीत आपने गौर किया होगा कि किसी रिलेशनशिप में आते ही हमारी त्वचा तुरंत दमकने लगती है.

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चलने में तकलीफ
यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास की शोध के मुताबिक ब्रेकअप या तलाक से ग्रस्त लोग आम लोगों की तुलना में चलने या सीढ़ियां चढ़ने और उतरने में करीब 23 प्रतिशत अधिक तकलीफ महसूस करते हैं. नार्मल वजन और बिना किसी दुर्घटना के भी उन्हें यह दिक्कत होती है.

दिमागी असंतुलन
ब्रेकअप या दिल टूटने के बाद इंसान काफी हारा हुआ महसूस करता है. जीने की इच्छा भी जैसे खत्म होने लगती है. ऐसे में तनावग्रस्त लोग खुद को चोटिल करने या आत्महत्या करने की भी कोशिश करते हैं. ऐसे कई केस में कार या बाइक एक्सीडेंट के मामले भी सामने आए हैं.

भूख ना लगना और वजन बढ़ना
किसी रिलेशनशिप में आते ही लड़कों और लड़कियों का वजन बढ़ने लगता है क्यूंकि दिमाग खुश रहता है. वहीं दूसरी तरफ ब्रेकअप के समय इसका बिलकुल उल्टा असर होता है. तनाव में भूख नहीं लगने पर भी वजन बढ़ता है. ब्रेकअप के शुरुआती कुछ हफ्तों में बिलकुल भूख नहीं लगती. हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के वैज्ञानिकों के अनुसार दिमाग का एक हिस्सा हाइपोथैलेमस एक ऐसे हॉर्मोन का निर्माण करता है जो भूख को दबाता है. बॉडी के सेल्स की इन्सुलिन हॉर्मोन के प्रति संवेदनशीलता काम हो जाती है, इसलिए बॉडी ज्यादा इन्सुलिन बनाती है. और वही इन्सुलिन फिर बॉडी की शुगर को फैट में तब्दील करने लगती है. इससे वजन बढ़ता है. साथ ही तनाव में लोग एक्सरसाइज भी काम करते हैं, उल्टा अल्कोहल ज्यादा पीते हैं. यह भी वजन बढ़ने का एक अहम कारण है.

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आंखों में सूजन
वैज्ञानिकों ने खोज की है कि हमारी आंखों से अलग-अलग तरह के आंसू निकलते हैं. कुछ आंखों में नमी बनाये रखते हैं, तो कुछ आंखों में चुभन के कारण निकलते हैं (जैसे प्याज काटते समय). लेकिन भावुक होकर रोते वक्त जो आंसू निकलते हैं वो लक्क्राइमल ग्लैंड से निकलते हैं. यह ग्लैंड्स पलकों के ऊपरी हिस्से में होती हैं. दूसरी ग्लैंड्स की तुलना में इनमें पानी भी अधिक होता है. भावुक होकर ज्यादा रोने पर और आखों को बार बार मसलने पर इनमें सूजन आ जाती है.

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