जब बात प्यार मुहब्बत की हो तो चुम्बन को कैसे भूल सकते हैं ? यह प्यार की कोमल भावना प्रदर्शित करने का माध्यम ही नहीं बल्कि इंसान में ‘लव हार्मोन’ का रिसाव भी करता है.
ऐसा नहीं है कि चुम्बन का नाम सुनकर सिर्फ पति-पत्नी और प्रेमी-प्रेमिका का ख्याल ही मन में आए बल्कि यह तो किसी भी रिश्ते में प्यार प्रदर्शित करने के लिए जरूरी है. मनोवैज्ञानिकों की मानें तो चुम्बन जहां दो विपरीत लिंगियों के बीच ‘लव हार्मोन’ के रिसाव का काम करता है वहीं यह मां और बच्चों के बीच प्रेम एवं सुरक्षा की भावना प्रदर्शित करने का भी काम करता है.
ब्राजील कनाडा और अमेरिका जैसे देशों में तो बाकायदा 28 अप्रैल के दिन चुम्बन समारोहों का आयोजन होता है जिसमें शामिल होने वाले युगल एक-दूसरे को सार्वजनिक रूप से चूमकर अपने प्रेम का इजहार करते हैं. इतना ही नहीं ‘किस डे’ के मौके पर कई जगह तो चुम्बन प्रतियोगिताओं का भी आयोजन होता है.
{mosimage}मनोविज्ञानी एसपी सिंह का कहना है कि चुम्बन प्रेम प्रदर्शित करने का एक सशक्त माध्यम है. यह प्रेमी-प्रेमिकाओं और पति-पत्नी के बीच जहां प्यार को मजबूती देता है वहीं अन्य रिश्तों में भी संबंधों की गहराई तथा सुरक्षा की भावना प्रदर्शित करने का काम करता है. {mospagebreak}
अमेरिकी मनोविज्ञानी हैरी पीटरसन की पुस्तक ‘रोल ऑफ लव इन लाइफ’ में भी चुम्बन की विशेषताओं को बताया गया है. इसमें कहा गया है कि दो विपरीत लिंगियों के बीच चुम्बन ‘लव हार्मोन’ के रिसाव का काम करता है जिससे दोनों के बीच संबंध और गहरे होते हैं. एक-दूसरे को चूमना इस बात का परिचायक है कि दोनों के बीच रिश्तों में जिन्दादिली और भावनाओं में गहराई है.
सिंह का कहना है कि यदि माता-पिता अपने बच्चे को चूमते हैं तो इससे बच्चे के मन में सुरक्षा की भावना पैदा होती है और उनके प्रति उसके मन में सम्मान बढ़ता है. यदि छोटे बच्चे अपने मां-बाप को चूमते हैं तो इससे मां-बाप के चेहरों पर खुशी भरी एक अजीब सी चमक आ जाती है. इस तरह चुम्बन माता-पिता और बच्चों के बीच रिश्तों की गहराई को मजबूत करने का एक सशक्त आधार भी है.
सिंह के अनुसार यदि प्रेम या दांपत्य संबंधों में बंधे युगल चुम्बन से दूर भागते हैं तो समझ लीजिए कि दोनों में एक-दूसरे के प्रति आकषर्ण की कमी हो गई है. उन्होंने कहा कि पहला आकषर्ण जहां नजरों के माध्यम से होता है वहीं चुम्बन इस आकषर्ण को हमेशा कायम रखने का काम करता है. नये जमाने की युवक युवतियों के लिए यह बोल्डनेस का एक पहलू है.
{mosimage}पहले युवा पीढ़ी जहां इस पर कुछ बोलने से भी झेंप जाती थी, अब समय के हिसाब से व्यावहारिक हो गयी है. युवा इस पर अपने विचार रखने से भी चूकते नहीं. 22 वर्षीय देवेश ने कहा कि जेन नेक्स्ट (अगली पीढ़ी) के लिए चुंबन पर झेंप पुरातनपंथी बात हो गयी है. वाणिज्य स्नातक इस छात्र ने कहा कि देखिए हमारे चारों ओर बयार किस प्रकार की बह रही है. रूढ़िवादी होने से फायदा क्या होगा ?