1 दिसंबर को वर्ल्ड एड्स डे के रूप में मनाया जाता है. HIV एक प्रकार का संक्रमित विषाणु है. यह वायरस व्यक्ति के शरीर में जाकर उसके खून में मौजूद श्वेत रक्त कोशिकाओं यानी कि व्हाइट ब्लड सेल में मिल जाता है. श्वेत रक्त कोशिकाओं के माध्यम से यह वायरस व्यक्ति के डीएनए में चला जाता है. ऐसी स्थिति में आकर वायरस टूटने लगता है और व्हाइट ब्लड सेल्स पर आक्रमण शुरू कर देता है. धीरे-धीरे वायरस का आक्रमण शरीर से सभी श्वेत रक्त कोशिकाओं को खत्म कर देता है. श्वेत रक्त कोशिकाओं के कम होने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है. HIV संक्रमण होने के बाद एड्स की बीमारी होने में कई साल लग जाते हैं.
कैसे होता है एड्स?
- HIV पॉजिटिव असुरक्षित शारीरिक संबंध बनाने से होता है.
- HIV मरीज के शरीर में इस्तेमाल किए हुए इंजेक्शन को दूसरे व्यक्ति में इस्तेमाल करने से यह बीमारी हो सकती है.
- इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति का ब्लड किसी दूसरे व्यक्ति में चढ़ाने से HIV वायरस फैलता है.
- अगर किसी गर्भवती महिला में HIV वायरस होता है तो उससे जन्म लेने वाले बच्चे में भी यह वायरस आ सकता है. साथ ही बच्चे में यह वायरस स्तनपान द्वारा भी फैल सकता है.
- किसी HIV पीड़ित व्यक्ति द्वारा इस्तेमाल किया हुआ ब्लेड इस्तेमाल करने से भी यह वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक फैलता है.
ये हैं HIV के लक्षण:
यह एक ऐसी बीमारी है, जिसके शुरुआती दिनों में किसी तरह के लक्षण सामने नहीं आते हैं. व्यक्ति बिल्कुल साधारण दिनों की तरह सेहतमंद रहता है. कुछ साल बाद ही इसके लक्षण सामने आते हैं, जो इस प्रकार हैं:
- बुखार का रहना.
- नियमित रूप से शरीर में थकावट महसूस करना.
- सूखी खांसी होना.
- वजन का कम होना.
- स्किन, मुंह, आंखों के नीचे या नाक पर धब्बे पड़ना.
- समय के साथ याददाश्त कमजोर होना.
- शरीर में दर्द रहना.