नए साल के आगाज के साथ कई दूसरे शहरों समेत दिल्ली एनसीआर में भी कांप उठाने वाली सर्दी का सितम जारी है. सर्दी से सबका बुरा हाल है. लेकिन अधिकतर लोगों को लगता है कि इस सितम ढाने वाली सर्दी का सबसे ज्यादा असर पतले लोगों पर पड़ता है. इसी कारण पॉपुलर साइंस ने एक स्टडी में ये जानने की कोशिश की है कि क्या मोटे लोगों को पतले लोगों के मुकाबले सर्दी कम लगती है? नतीजों में देखा गया है कि उन्हें सर्दी का एहसास पतले लोगों के मुकाबले ज्यादा भी हो सकता है और कम भी. आइए जानें ऐसा क्यों होता है.
'पॉपुलर साइंस' द्वारा की गई स्टडी में सामने आया है कि जिन लोगों में ज्यादा चर्बी होती है उनको ठंड कम लगती है. बॉडी में मौजूद फैट यानी चर्बी शरीर में थरमल रेगुलेशन का काम कर के ठंड के एहसास को कम कर देता है.
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वहीं 'डिस्कवरी मैग्जीन' कि एक रिपोर्ट की मानें तो, इसमें कोई हैरानी कि बात नहीं है कि शरीर में मौजूद फैट जानवरों में भी थरमल का काम करता है. यही कारण है कि ठंडे पानी में रहकर भी व्हेल की चर्बी उसका सर्दी से बचाव करती है. लेकिन इंसानों में ये प्रक्रिया जानवरों से कहीं ज्यादा जटिल होती है. दिमाग के जटिल संकेतों के कारण मोटे लोगों को भी ठंड का एहसास हो सकता है.
दरअसल, तापमान में गिरावट होने पर दिमाग बॉडी को सिग्नल भेजता है. जिस कारण हमारी बॉडी अंदरुनी और बाहरी तापमान के अनुसार काम करने लगती है.
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'साइंटिफिक अमेरिकन' के अनुसार, ज्यादा सर्दी के कारण हमारी ब्लड वेसेल्स में कसाव आने लगता है और हमारे स्किन से हीट बाहर निकल नहीं पाती. जिस वजह से हमें सर्दी का एहसास होता है और हम कांपने लगते हैं. लेकिन मोटे लोगों में ज्यादा चर्बी होने के कारण शरीर अंदर से तो गर्म रहता है. जबकि बाहरी स्किन ठंडी रहती है.
वहीं 'आर्मी रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ एनवायरनमेंटल मेडिसीन' के शोधकर्ताओं के मुताबिक, स्किन का टेंपरेचर कम होने से मोटे लोगों को ठंड का एहसास हो सकता है.
उन्होंने ये भी बताया है कि मोटे होने से सर्दी का एहसास कम होना सिर्फ अकेला कारण नहीं है. जबकि, सर्दी लगने का गहरा ताल्लुक हेल्दी होने से भी है. क्योंकि सेहतमंद लोगों में मसल्स टीश्यूज हीट जेनरेट करके सर्दी से बचाव करने में मदद करते हैं.