अगर आपको को लंबी उम्र जीने की कोई दवा दे दी जाए तो इस ‘ज्यादा वक्त’ का आप कैसे इस्तेमाल करना पसंद करेंगे. एक नयी शोध के नतीजों पर यकीन करें तो आप घर में अपने परिवारवालों के साथ यह वक्त गुजारना चाहेंगे.
क्वीन्सलैंड यूनीवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने एक अध्ययन के दौरान 18 से 96 साल के 605 ऑस्ट्रेलियाई लोगों का साक्षात्कार लिया. ‘रेजुवेनेशन रिसर्च’ नाम से आई इस रिपोर्ट में इस बात का ध्यान रखा गया है कि अध्ययन में शामिल होने वाले प्रतिभागी स्वस्थ जीवन के प्रति किस तरह की जातीय सामाजिक और व्यक्तिगत धारणा रखते हैं.
अध्ययन के प्रमुख शोधकर्ता प्रो. जेन लक ने बताया कि प्रतिभागियों को एक ऐसी स्थिति पर विचार करने के लिए कहा गया जिसमे बुढ़ापा रोकने वाली दवाओं के जरिए उम्र बढ़ जाती है. इस दवाई का इस्तेमाल बीमारियों के इलाज में नहीं किया जाएगा बल्कि आने वाली स्वास्थ्य तकलीफों को दूर करने में किया जाएगा.
प्रो. लक ने बताया कि अध्ययन में भाग लेने वाले 63 फीसदी प्रतिभागियों ने माना कि लंबी उम्र से उनके कई निजी फायदे हैं. एक और जहां इनमें 36 फीसदी लोगों ने स्वीकार किया कि वह अपने परिवार के साथ ज्यादा वक्त गुजारना पसंद करेंगे वहीं 31 फीसदी प्रतिभागियों ने अपनी महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने की बात कही.
21 फीसदी लोगों ने माना कि वह इस समय का इस्तेमाल बेहतर स्वास्थ्य और गुणवत्तापूर्ण जीवन जीने में करेंगे. शोधकर्ताओं के मुताबिक नतीजों से पता चलता है कि इससे समाज को भी फायदा होगा सामुदायिक ज्ञान बढ़ेगा महत्वपूर्ण लोग ज्यादा जी पाएंगे और उनके पास योगदान के लिए अधिक समय होगा.
हालांकि अध्ययन में भाग लेने वाले आधे से ज्यादा प्रतिभागियों ने उल्टी राय जाहिर की. इनमें कुछ लोगों के मुताबिक लंबी उम्र से समाज को काई फायदा नहीं होने वाला है. इससे आबादी बढ़ेगी और कुछ ने तो यहां तक कह डाला कि इससे स्वास्थ्य सुविधाओं पर भी दबाव बढ़ेगा.