शादीशुदा जीवन में तनाव व सहयोग को लेकर स्त्रियों और पुरुषों की भावनात्मक प्रतिक्रियाएं एक दूसरे से भिन्न होती हैं. एक नए शोध में यह दावा किया गया है कि अगर शादी पर संकट मंडरा रहा हो तो एक तरफ जहां महिलाएं बेहद दुखी, तनावग्रस्त और चिंतित रहती हैं, वहीं पुरुषों के लिए यह ज्यादा बड़ी परेशानी की बात नहीं होती. ऐसी स्थिति में पुरुष अक्सर स्त्रियों की तुलना में बेहद सामान्य रहते हैं.
बड़ी उम्र के विवाहित लोगों में दुख, चिंता और कुंठा जैसे सबसे सामान्य नकारात्मक भावों का अध्ययन करते हुए शोधकर्ताओं ने जाना कि लंबे वैवाहिक जीवन में स्त्री और पुरुष वैवाहिक समस्याओं का सामना अलग-अलग तरह से करते हैं.
अमेरिका में न्यू जर्सी के प्राध्यापक डेबोरा कार के मुताबिक, पुरुष वैवाहिक जीवन के बारे में बहुत ज्यादा बात नहीं करना चाहते और न ही वे इस बारे में सोचने में ज्यादा वक्त खर्च करते हैं. पुरुष अपनी भावनाओं को ज्यादा व्यक्त नहीं करते लेकिन महिलाएं अपने दुख और चिंता को व्यक्त करना चाहती हैं.
औसतन 39 साल का वैवाहिक जीवन बिता चुके 722 जोड़ों पर किए गए इस अध्ययन में पूछा गया कि शादीशुदा जीवन के अनुभव और साथी के व्यवहार ने उन्हें किस प्रकार प्रभावित किया.
कार के मुताबिक, अपने साथी से समर्थन मिलने पर महिलाओं ने खुशी जताई और वो संतुष्ट दिखीं. हालांकि पुरुषों ने अपने वैवाहिक जीवन को ज्यादा बेहतर बताया और माना कि समर्थन लेने और देने, दोनों ही स्थितियों में उन्हें तनाव महसूस होता है.
यह शोध जर्नल ऑफ जेरंटोलॉजी में प्रकाशित हुआ है.
इनपुट: IANS