ऐसा माना जाता है कि मर्दों को दिल की बीमारियों का खतरा महिलाओं से ज्यादा होता है. अब वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि उन्होंने उस समस्या का जेनेटिक सूत्र ढूंढ निकाला है जो इस बात को बताते हैं कि आखिर मर्दों को दिल की बीमारियों की आशंका ज्यादा क्यों होती है.
लिसेस्टर विश्वविद्यालय के अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि अपने पिता से मिलने वाले वाई क्रोमोसोम के जेनेटिक वेरिएशन इसमें अहम भूमिका निभाते हैं. उन्होंने पाया कि आई हेपलोग्रुप नाम का यह वेरिएशन मर्दों में दिल की बीमारियों का खतरा 55 प्रतिशत तक बढ़ा देता है.
अनुसंधानकर्ताओं का हालांकि कहना है कि अभी यह कहना बहुत जल्द होगा कि इस जीन का दिल पर स्मोकिंग और उच्च रक्ताचाप से भी ज्यादा असर होता है. अनुसंधान को अंजाम देने वाले दल के अगुवा प्रो. नीलेश समानी ने कहा कि इन खोजों से डॉक्टरों को इलाज ढूंढने में मदद मिलेगी. उन्होंने कहा कि जवान महिलाओं को ईस्ट्रोजेन से मदद मिलती है जबकि मर्दों में इसकी सुरक्षा का अभाव होता है.