पीरियड्स में हर लड़की का अनुभव अलग होता है. किसी को बहुत ज्यादा दर्द होता है तो किसी को कम. कई लड़कियां तो पीरियड्स के दौरान नेचर को कोसने लगती हैं कि आखिर क्यों आते है ये पीरियड्स, कितनी तकलीफ देते हैं! पर यकीन मानिये असल में इन पीरियड्स के जरिये नेचर किसी लड़की को बर्थ के लिए तैयार करती है. उसे और मज़बूत बना रही होती है, जिससे कि वो फ्यूचर में होने वाले प्रसवपीड़ा के दर्द को बर्दाश्त कर सके.
पीरियड्स के दौरान गलती से भी न करें ये पांच काम
पीरियड्स का लेबर पेन से ये है नाता
एक ऑस्ट्रेलियन विमेंस वेबसाइट में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, पीरियड्स में होने वाले दर्द से लेबर पेन का अंदाज़ा लगाया जा सकता है. डॉक्टर दाशा फील्डर ने वेबसाइट से कहा, 'शुरुआत के चंद पलों में पीरियड्स और प्रसव का दर्द एक जैसा ही होता है. फर्क बस इतना है कि पीरियड्स में दर्द उतना ही रहता है जितना कि शुरुआत में पर प्रसव में वो दर्द बढ़ता जाता है'.
प्रसव में 10 गुना ज्यादा होता है दर्द
पीरियड्स के दर्द और प्रसव के दर्द में एक सिंपल सा कनेक्शन है. प्रसव के दौरान सर्विक्स का मुह 1 सेंटीमीटर खुलता है लेकिन प्रसव के दौरान सर्विक्स का मुह 10 सेंटीमीटर तक खुल जाता है जिससे बच्चा आसानी से बाहर आ सके.
पीरियड्स से जुड़ी ये बातें आपको पता नहीं होंगी