भारत का दूसरा सबसे बड़ा शहर हैदराबाद बिना किसी शक-शुबहे के सेक्स के मामले में देश का सर्वाधिक सक्रिय शहर है. इस बात की पुष्टि 2008 में हुए इंडिया टुडे-एसी नील्सन-ओआरजी-मार्ग सेक्स सर्वेक्षण में हुई थी. सेक्स के साथ प्रयोग और इन मामलों में यह शहर सबसे आगे है- सबसे अधिक अवैध संबंध, वाइफ स्वैपिंग (पत्नियों की अदला-बदली), वेश्याओं के साथ यौन संबंध, समलैंगिकता को स्वीकृति और समाज में इसकी व्यापकता, सेक्स टॉय (यौन खिलौनों का प्रयोग), कम उम्र में सेक्स संबंध, रोल प्लेइंग, सहवास के समय अलग-अलग मुद्राएं, वीडियो पोर्नोग्राफी और अपना ही पोर्न वीडियो बनाना. हैदराबाद की कामुकता का वर्णन तो सेक्सुएलिटी विद रिस्पेक्ट टु सेक्स और एशियन होमोसेक्सुएलिटी जैसी किताबों में भी है.
कामुकता का आगमन
निजाम के शासन (1724-1948) के दौरान हैदराबाद संपन्न शहर था. सेक्स का उस दौर में खूब आनंद लिया जाता था. बहुविवाह, वैकल्पिक कामुकता को, जिसमें समलिंगी संबंध और बच्चों का यौन शोषण भी शामिल थे, सामान्य माना जाता था. हिजड़े हरम की औरतों की रक्षा के लिए तो होते ही थे, वे समलिंगी यौन क्रीड़ा में भी साथ देते थे. पूर्व निजाम के बेटों के रहमान नाम के एक खूबसूरत हिजड़े के प्रेम में अपने भाई को छुरा भोंकने के प्रमाण भी मिलते हैं. हैदराबाद में दूसरे लोगों के आगमन से सामंती और देवदासी से जुड़ी कामुकता का भी आगमन हुआ. तो हैरत की बात नहीं कि बहुत से हैदराबादी पुरुष वेश्याओं के संरक्षक बने रहते हैं, पत्नियों की अदला-बदली में हिस्सा लेते हैं और अवैध संबंध बनाते हैं.
सर्वाधिक एचआइवी/एड्स पीड़ित रोगी
शहर की संपन्नता ने दूरदराज के लोगों को भी आकर्षित किया है, उनमें से कई यहां की रंगीन फिजा का रस लेने को तैयार हैं, भले ही वे शादीशुदा हों या अविवाहित. शहर के सहिष्णु और वर्जनाहीन समाज ने इस शहर को 'एलजीबीटी' (लेस्बियन, गे, बाइसेक्सुअल और ट्रांससेक्सुएल) की पसंदीदा मंजिल बना दिया है. लेकिन इस सबका व्यथित करने वाला पहलू यह है कि आंध्र प्रदेश में देश के सर्वाधिक एचआइवी/एड्स पीड़ित रोगी हैं. चिंता की दूसरी बात यह है कि हाल ही में समलैंगिकता से संबंधित यौन अपराधों और हत्याओं में वृद्धि हुई है.
वैकल्पिक सेक्स का केंद्र
'एलजीबीटी' शहर में हर जगह मौजूद हैं. या चैट ग्रुप, गे हैदराबाद इनमें टॉप टेन में हैं. यहां गे बार, मित्रुदु जैसे समलैंगिक समूह हैं. और हम अशोक रो कवि, होशांग मर्चेंट से तो परिचित हैं ही, जिन्होंने यारानाः गे राइटिंग फ्रॉम इंडिया और दूसरी पुस्तकें लिखी हैं. समलैंगिकों की सूची में हैदराबाद सबसे ऊपर है तो इसकी असली वजह इसका सेक्स के मामले में सहिष्णु होना ही है. मैं तो कंगा कि यह 'विकसित' हुआ है. भारतीय शहरों में यह शायद सर्वाधिक सहिष्णु है. हम पुरुषों को हाथों में हाथ डाले देख सकते हैं और किसी को आश्चर्य नहीं होता. यही बात महिला समलैंगिकों पर भी लागू होती है.
भारतीय कानून समलैंगिकता विरोधी
एक वजह और भी है. कैलिफोर्नियाई कानून भी समलैंगिक झुकाव वाला है. मिसाल के तौर पर, सान फ्रांसिस्को में अमेरिका के दूसरे शहरों की तुलना में अधिक समलैंगिक हैं. इसके विपरीत भारतीय कानून समलैंगिकता विरोधी झुकाव वाला है और समलैंगिकों को सामाजिक बहिष्कार का सामना करना पड़ता है. किसी कानूनी स्वीकृति के अभाव में सामाजिक मान्यता भी बाधक बन जाती है. तो कहा जा सकता है कि ऐसे समय जब वैकल्पिक कामुकता की पहचान स्थापित करने के लिए अभियान चल रहा है, हैदराबाद राष्ट्र का 'एलजीबीटी' मुख्यालय है.
लेखक सेक्स इज नॉट ए फोर लेटर वर्ड के लेखक, एंड्रोलॉजिस्ट और यौन दवाओं के विशेषज्ञ हैं.