कांग्रेस नेता राहुल गांधी कोरोना से जंग के बीच सरकार की तैयारियों पर लगातार सवाल खड़े कर रहे हैं. कोरोना के इस संकट से उबरने और लॉकडाउन में ठप होती अर्थव्यवस्था के मद्देनजर उन्होंने एक सीरीज की शुरुआत भी की है. इस कड़ी में राहुल गांधी ने एक्सपर्ट से कई ऐसे अहम सवाल किए जिनका जवाब आम इंसान की जिंदगी से जुड़ा है.
इस सीरीज के पहले चरण में राहुल गांधी ने प्रोफेसर आशीष झा से बातचीत की. राहुल ने प्रोफेसर झा से पूछा कि लॉकडाउन पर उनका क्या विचार? इससे मनोविज्ञान पर कैसा असर पड़ता है और ये कितना मुश्किल है?
इस सवाल के जवाब में प्रोफेसर झा ने कहा, ' कोरोना के इस संकट काल में ऐसे कई कारण जिनकी वजह से लॉकडाउन पर विचार करना जरूरी है. लॉकडाउन की वजह से आप वायरस को धीमा कर सकते हैं. यह एक नया वायरस है जिसका इंसानों ने पहले कभी अनुभव नहीं किया है.'
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प्रोफेसर झा ने आगे कहा, 'अगर वायरस को रोकना है तो सिर्फ जो पीड़ित हैं, उनको समाज से अलग कर सकते हैं. उसके लिए टेस्टिंग जरूरी है, लॉकडाउन आपको अपनी क्षमता बढ़ाने का वक्त देता है. क्योंकि लॉकडाउन से अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर बहुत बड़ी चोट मिल सकती है. अगर लॉकडाउन का इस्तेमाल अपनी क्षमता बढ़ाने के लिए नहीं किया गया, तो काफी नुकसान होगा.'
प्रोफेसर झा ने कहा कि लॉकडाउन में आपको कोरोना के खिलाफ अपनी रणनीतियां तैयार करने का पर्पाप्त समय मिल जाता है. इस दौरान हम न सिर्फ लोगों को घरों में बंद कर संक्रमण को फैलने से रोक सकते हैं, बल्कि हमें ज्यादा से ज्यादा टेस्टिंग और आइसोलेशन की तरफ भी रुख करना चाहिए.
उन्होंने कहा, 'लॉकडाउन इसलिए भी जरूरी है ताकि आप लोगों तक सही संदेश पहुंचा सके. ये महामारी 6 महीना, एक साल या 18 महीने तक भी इंसानों के साथ रह सकती है. ऐसे में लोगों से सतर्कता बरतने और जरूरी बातें ध्यान में रखने की अपील की जानी चाहिए. ताकि लॉकडाउन के दौरान या बाद में जब वे बाहर निकलें तो उनमें साहस की कमी ना हो.