राजधानी दिल्ली में बच्चों की फिटनेस का स्तर लगातार गिरता जा रहा है. प्रदूषित हवा का सीधा असर बच्चों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है. लेकिन बात सिर्फ प्रदूषित वातावरण तक ही सीमित नहीं है. हाल में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली में 5 से 17 साल तक के बच्चों में से 40 प्रतिशत बच्चों का बीएमआई संतुलित नहीं है. इसका सीधा सा मतलब ये है कि हर पांच में 2 बच्चे अनफिट हैं.
खेलकूद के अभाव में छोटे बच्चे मोटापे का शिकार हो रहे हैं. उनका बॉडी मास इंडेक्स असंतुलित हो रहा है. सर्वे के मुताबिक, स्कूल जाने वाले हर पांच में से दो बच्चे का बीएमआई गड़बड़ है. भारत के ज्यादातर स्कूलों में बच्चों के खेलकूद और फिटनेस के लिए उचित व्यवस्था नहीं है. नतीजतन बच्चों के शरीर का निचला हिस्सा, बाकी शरीर की तुलना में कमजोर ही रह जाता है.
बच्चों में एक ओर जहां मोबाइल और लैपटॉप की आदत तेजी से बढ़ी है वहीं आउटडोर खेलों के प्रति उनके रुझान में भारी कमी आई है. अध्ययन के मुताबिक, जो बच्चे सप्ताह में तीन से ज्यादा स्पोर्ट्स पीरियड्स इंजॉय करते हैं, वे तुलनात्मक रूप से ज्यादा स्वस्थ रहते हैं.
विशेषज्ञों द्वारा 26 राज्यों के 87 स्कूलों के 1.48 लाख बच्चों पर किए गए सर्वे में थोड़ी दूर तक तेज दौड़ने की क्षमता, शरीर के ऊपरी भार के लचीलेपन, एब्डाॅमिनल स्ट्रेंथ और बीएमआई को आधार बनाया गया. अध्ययन में यह बात भी सामने आई कि जिन स्कूलों में स्पेशल फिजिकल एक्टिविटी प्रोग्राम्स चलाए जाते हैं, उन स्कूलों के बच्चे अन्य बच्चों के मुकाबले ज्यादा स्वस्थ होते हैं.
उम्र के मुताबिक खेलकूद की गतिविधियों के असर को मापने के लिए 80 स्कूलों के 23,889 स्टूडेंट्स पर सर्वे 24 महीने में किया गया. इन स्टूडेंट्स की तुलना 85 स्कूलों के 27,281 ऐसे छात्रों से की गई जिनके स्कूल में सामान्य स्पोर्ट्स कार्यक्रम चलाए जाते हैं. इसमें स्पेशल एजुकेशन लेने वाले छात्र ज्यादा स्वस्थ पाए गए.
डॉक्टर दीप गोयल के अनुसार, रनिंग, जंपिंग और जॉगिंग जैसी गतिविधियों को जूनियर क्लासेज के करिकुलम का हिस्सा बनाया जाना चाहिए. उनका कहना है कि ये मोटापा बच्चे के भविष्य के लिए बेहद नुकसानदेह साबित हो सकता है क्योंकि ये मोटापा बढ़ता तो बहुत जल्दी है लेकिन जाता बहुत धीरे है. ऐसे में कई दूसरी खतरनाक बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है.
डॉक्टर गोयल के अनुसार, बच्चों को फिजिकल एक्टिविटीज के लिए प्रोत्साहित करना बहुत जरूरी है.
लवली पब्लिक स्कूल के आर पी मलिक का कहना है कि स्कूली बच्चों के अनफिट होने का सीधा मतलब है कि स्कूल में शारीरिक व्यायाम और फिजिकल एक्टिविटी पर कम ध्यान दिया जा रहा है. गवर्मेंट टीचर एसोसिएशन के महासचिव अजय वीर मानते हैं कि आज के समय में पढ़ाई के साथ खेलकूद में भी ध्यान दिया जाना चाहिए.
दिल्ली के बच्चों की सेहत के गिरते स्तर का एक बड़ा कारण खेलने के संसाधनों की कमी है. निगम के आंकड़ों में भले ही पार्कों की संख्या सैकड़ों में दर्ज है लेकिन निगम खुद मानता है कि इनकी स्थिति अच्छी नही है और फंड की कमी की वजह से काम नहीं हो पा रहा है. इसकी वजह से देश का भविष्य बीमार हो रहा है.