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मानव रक्त को वैज्ञानिकों ने मस्तिष्क कोशिका में बदला, रचा इतिहास

भारतीय मूल के एक वैज्ञानिक और उनके सहयोगियों ने वयस्क मानव रक्त कोशिका को न्यूरॉन में बदल कर विज्ञान के क्षेत्र में एक इतिहास रचा है. वैज्ञानिकों के इस चमत्कार के बाद अब वयस्क मानव के रक्त की कोशिकाओं को केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र (मस्तिष्क एवं मेरूरज्जु) न्यूरॉन के साथ ही परिधीय तंत्रिका तंत्र के न्यूरोन में बदला जा सकता है जो दर्द, तापमान और खुजली के बोध के लिए जिम्मेदार होते हैं.

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भारतीय मूल के एक वैज्ञानिक और उनके सहयोगियों ने वयस्क मानव रक्त कोशिका को न्यूरॉन में बदल कर विज्ञान के क्षेत्र में एक इतिहास रचा है. वैज्ञानिकों के इस चमत्कार के बाद अब वयस्क मानव के रक्त की कोशिकाओं को केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र (मस्तिष्क एवं मेरूरज्जु) न्यूरॉन के साथ ही परिधीय तंत्रिका तंत्र के न्यूरोन में बदला जा सकता है जो दर्द, तापमान और खुजली के बोध के लिए जिम्मेदार होते हैं.

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रिसर्चर्स का कहना है कि इसका मतलब है कि अब किसी शख्स के खून से यह निर्धारित किया जा सकता है कि उसकी तंत्रिका तंत्र कोशिकाएं किस चीज पर किस तरह प्रतिक्रिया करेंगी. यह उपलब्धि मैकमास्टर यूनिवर्सिटी के ‘स्टेम सेल ऐंड कैंसर रिसर्च इंस्टीट्यूट’ के निदेशक मिक भाटिया के नेतृत्व में रिसर्च कर रही टीम ने हासिल की.

मशल्स से पता चलती है चरम स्थिति
अभी, वैज्ञानिकों के पास दर्द और उसके इलाज के जटिल मुद्दे की सीमित जानकारी है. परिधीय तंत्रिका तंत्र कई तरह की मशल्स से बना है. उनमें से कुछ दबाव महसूस करती हैं और कुछ तापमान महसूस करती हैं. चरम स्थितियों में मस्तिष्क दर्द या सुन्न होने का पता इन्हीं परिधीय मशल्स के जरिए चलता है.

भाटिया ने कहा, ‘समस्या यह है कि खून या किसी चमड़ी के नमूने या किसी बायोप्सी की तरह आप किसी मरीज के मशल्स का कोई टुकड़ा नहीं ले सकते. यह पूरे शरीर में किसी जटिल वायरिंग की तरह है और स्टडी के लिए नमूने के रूप में उसके हिस्सों को नहीं लिया जा सकता.' उन्होंने कहा, ‘अब हम खून के नमूने ले सकते हैं और तंत्रिका तंत्र की विभिन्न कोशिका प्रकार - केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र और परिधीय तंत्रिका तंत्र बना सकते हैं जो प्रत्येक रोगी के लिए विशेष होगा.’

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- इनपुट भाषा

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