भारत में 2014 और 2015 में 20-70 साल के आयु समूह के बीच डायबिटीज के मामले क्रमश: 6.68 करोड़ और 6.91 करोड़ पाए गए हैं. मेडिकल पत्रिका लैंसेट के अध्ययन के अनुसार 7 करोड़ डायबिटीज मरीजों की आबादी के साथ भारत विश्व के तीन शीर्ष मधुमेह पीड़ित देशों में से एक है. तिल का तेल डायबिटीज की रोकथाम में मदद करता है इसलिए विशेषज्ञ इस तेल को इस्तेमाल करने की सलाह दे रहे हैं.
टाइप 2 डायबिटीज को करता है कंट्रोल
डायबिटीज विशेषज्ञों को कहना है कि तिल के तेल में विटामिन ई और अन्य एंटीऑक्सिडेंट्स , जैसे कि लिगनैंस, प्रचुर मात्रा में होते हैं. ये सभी तत्व टाइप 2 डायबिटीज में फायदेमंद होते हैं. शोध के अनुसार, वे डायबिटीज पीड़ित मरीज जो खराब कार्डियोवैस्कुलर सेहत से प्राय: पीड़ित होते हैं और जिनकी बीमारी फ्री रेडिकल्स से और भी बिगड़ सकती है, उसे हटाने में तिल के ऑक्सीडेंट्स सहायता करते हैं.
लोगों को जागरूक करना है जरूरी
राष्ट्रीय कैंसर, डायबिटीज, कार्डियोवैस्कुलर रोग एवं आघात निवारण एवं नियंत्रण कार्यक्रम (एनपीसीडीसीएस) के तहत व्यवहार और जीवनशैली परिवर्तन को लेकर लोगों को जागरूक किया जाता है. इसके तहत ज्यादा जोखिम से जुड़े लोगों की स्क्रीनिंग कर जांच की जाती है. साथ ही डायबिटीज सहित गैर-संचारी रोगों के उपयुक्त प्रबंधन के लिए लोगों को जागरूक किया जाता है. इस कार्यक्रम के तहत तिल के तेल द्वारा प्रदान किए जाने वाले फायदों के प्रति भी लोगों को जागरूक किया जाता है.
कोलेस्ट्रॉल को रखता है नियंत्रित
तिल का तेल डायबिटीज की रोकथाम करने में भी मदद करता है क्योंकि यह रक्त में ग्लूकोज स्तर, एलडीएल कोलेस्ट्रॉल और ट्राईग्लिसराइड स्तर को घटाता है. कोलेस्ट्रॉल पर इसके प्रभाव के कारण यह स्वाभाविक है कि तिल का तेल ऐसे रोगों को रोकता है जो कि डायबिटीज पीड़ित मरीजों में आम हैं जैसे कि अथेरोस्क्लेरोसिस और कार्डियोवेस्कुलर रोग.