क्या आप किसी ऐसी जिंदगी की कल्पना कर सकते हैं जिसमें इंसान खुद को वर्षों तक दुनिया से काटकर रखे और केवल एक कमरे तक सीमित कर ले. उसके लिए इंटरनेट सर्फिंग और इंटरनेट पर गढी दुनिया ही सबकुछ हो जाये. शायद सामान्य तौर पर ऐसा नहीं देखने को मिले. लेकिन आपा-धापी और तकनीक पर तेजी से निर्भर हो रहे समाज में इस तरह की बातें सामने आ रही हैं.
हिकीकोमोरी की समस्या
जिस जापान को दुनियाभर में तकनीक के क्षेत्र में रोल मॉडल के रूप में देखा जाता है वहां करीब 10 लाख लोग हिकीकोमोरी की समस्या से ग्रसित हैं. हिकीकोमोरी यानी ऐसी स्थिति जिसमें इंसान सामाजिक रूप से खुद को काटकर तकनीक से बनाई अपनी दुनिया में सीमित हो जाता है.
सामाजिक और स्वास्थ्य के लिए दिक्कत
इसे सामाजिक और स्वास्थ्य के लिहाज से बीमारी के रूप में देखा जा रहा है. ख़ासकर युवाओं में इस तरह की स्थिति देखी जा रही है. इस स्थिति में इंसान खुद को सामाजिक रूप से अलगाव की स्थिति में रखकर बेडरूम तक सीमित कर लेता है. ऐसी स्थिति वे खुद के लिए वर्षों तक जारी रख सकता है.
हो रहा है शोध
जापान में हिकीकोमोरी के विशेषज्ञों में से एक डॉ. ताकाहिरो कातो खुद छात्र जीवन में इसके शिकार हो चुके हैं और अब इसे रोकने के लिए काम कर रहे हैं ताकि अगली पीढी को इससे व्यापक तौर पर नुकसान नहीं पहुंच सके.
बुजुर्गों के बीच भी सामने आए मामले
जापान के फुकुओका में क्यूशू यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञों के साथ वे इसका हल ढूंढने के लिए काम कर रहे हैं. इनका कहना है कि उन्होंने 50 वर्ष से ऊपर के लोगों में भी इस तरह के गंभीर मामले देखे हैं. जिन्होंने खुद को सामाजिक रूप से 30-30 साल तक अलगाव की स्थिति में रखा.