टेस्टोस्टेरॉन थेरेपी बुजुर्गो में न सिर्फ यौनेच्छा बढ़ाती है बल्कि उनकी चलने-फिरने की क्षमता, ऊर्जा स्तर और संपूर्ण स्वास्थ्य को भी बेहतर बनाती है. हाल में हुई एक मेडिकल रिसर्च में ये बात सामने आई है. 65 साल के ऊपर के पुरुषों का जब टेस्टोस्टेरॉन इलाज किया गया तो उनके यौन क्रियाकलाप के स्तर में सुधार देखा गया, उनका मूड बेहतर हुआ और उनके डिप्रेशन लेवल में भी कमी आई.
जिन बुजुर्गो को टेस्टोस्टेरॉन थेरपी एक साल तक दी गई, उनकी यौन गतिविधियों, यौन इच्छाओं और इरेक्टाइल कार्यप्रणाली में प्लेसबो (झूठी दवाई) दिए जानेवाले बुजुर्गो की तुलना में बढ़ोतरी देखी गई.
पेंसिलवेनिया विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और मुख्य शोधकर्ता पीटर जे. सेंडर ने बताया, 'टेस्टोस्टेरॉन ट्रायल के नतीजे से यह साफ है कि बुजुर्गो को इससे फायदा होता है.'
यह ट्रायल अमेरिका में 12 जगहों पर किया गया. इसके तहत शोधकर्ताओं ने 51,085 पुरुषों का परीक्षण किया, जिनमें से 790 लोगों में टेस्टोस्टेरॉन का स्तर कम पाया गया. जिनका स्तर कम था उन पर यह शोध किया गया.
इसकी खास बात यह थी कि टेस्टोस्टेरॉन चिकित्सा का कोई दुष्प्रभाव देखने को नहीं मिला. मर्दो की जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, उनमें टेस्टोस्टेरॉन का स्तर घटता जाता है, जिससे वे जल्दी थक जाते हैं और यौन क्षमता में कमी महसूस करने लगते हैं.
इससे पहले टेस्टोस्टेरॉन चिकित्सा पर किए गए शोध में कोई निर्णायक नतीजा सामने नहीं आया था और इस चिकित्सा की आलोचना भी होती रही है.
यह शोध न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित हुआ है.