मोटापे के कारण अनियंत्रित डायबटीज की शिकार 52 वर्षीय शीला जोशी (बदला हुआ नाम) को शायद इसका अंदाजा भी नहीं है कि वह धीरे-धीरे लीवर की बीमारी की तरफ बढ़ रही हैं. स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि यह मामला सिर्फ जोशी का ही नहीं है, बल्कि अधिकांश भारतीय इस परिस्थिति से नावाकिफ होते हैं और जब मामला गंभीर हो जाता है तब तक देर हो चुकी होती है. फीमेल सेक्स हार्मोन से पुरुषों में बढ़ता है मोटापा
सर गंगाराम हॉस्पिटल के सर्जन तरुण मित्तल के अनुसार, 'भारत में लोगों की आम धारणा है कि लीवर की बीमारियां शराब पीने वाले लोगों में ही होती है. लेकिन ताजा रिसर्च बताती है कि शराब न पीने वाले लोगों को भी लीवर की समस्या होने के खतरे लगभग बराबर हैं.' डॉक्टरों के अनुसार मोटापा और डायबटीज लीवर की बीमारी के शिकार शराब न पीने वाले लोगों में इसका खतरा और बढ़ा देता है. मित्तल ने बताया कि लीवर की बीमारी से ग्रस्त शराब न पीने वाले लोगों में लीवर के खराब होने का खतरा कई अन्य कारणों से भी बढ़ जाता है, जिसमें कुपोषण, गर्भ के कारण लीवर का खराब होना, नशीली दवाएं और यहां तक एचआईवी और हेपेटाइटिस-सी शामिल हैं. मैक्स हेल्थकेयर के उपाध्यक्ष और मेटाबोलिक एवं बैरिएट्रिक सर्जन प्रदीप चौबे के अनुसार, कई बार पेट में दर्द या गर्भ के लिए होने वाले अल्ट्रासाउंड जांच के दौरान लीवर में सूजन की बीमारी का पता चलता है.'
चौबे के अनुसार, कुछ लोगों का लीवर अतिरिक्त रूप से मोटा हो जाता है, जिसे फैटी लीवर कहते हैं. हालांकि यह एक सामान्य अवस्था नहीं है, लेकिन यदि पेट में जलन या और कोई समस्या पैदा नहीं करता तो यह कोई गंभीर बात नहीं है.वरिष्ठ बैरिएट्रिक सर्जन आशीष भनोट ने इस बीमारी के सर्वश्रेष्ठ उपचार के बारे में कहा, 'नियमित व्यायाम, तेज गति से टहलना, मधुमेह और मोटापे को नियंत्रित रखना कुछ अच्छे उपचार हैं. मोटापा कम करने के लिए ऑपरेशन करवाने से भी फैटी लीवर का खतरा बढ़ जाता है. ऐसे मरीजों के लिए सबसे अच्छा उपचार है शरीर का वजन कम करना'
इनपुट-आईएएनएस