कोरोना वायरस पॉजिटिव मामलों में ऐसे लोगों को बड़ी तादाद है जो पहले से ही किसी न किसी गंभीर बीमारी का शिकार रहे हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या टीबी और एचआईवी के मरीजों को कोरोना से ज्यादा खतरा है. इस पर दिल्ली स्थित एम्स में डायरेक्टर के पद मौजूद डॉक्टर रणदीप गुलेरिया ने विस्तार से जानकारी दी.
डॉक्टर रणदीप गुलेरिया ने आजतक के माध्यम से बताया कि पूरी दुनिया में अब तक जितनी में मौतें हुई हैं उनमें दो सबसे कॉमन बातें देखने को मिली हैं. पहला, ज्यादा उम्र और दूसरा कोमोबिडिटीज.
डॉक्टर रणदीप गुलेरिया का कहना है कि कोविड-19 के कारण अब तक हुई मौतों में 50 साल से कम उम्र के 1 प्रतिशत से भी कम लोग हैं. उम्र बढ़ने के साथ सीरियस इंफेक्शन का खतरा भी बढ़ जाता है.
वहीं, अगर बात करें कोमोबिटीज की यानी हाइपरटेंशन, डायबिटीज, हृदय रोग, कमजोर फेफड़े, खराब इम्युनिटी या एचआईवी के रोगियों की तो उनके लिए यह वायरस ज्यादा खतरनाक साबित हो सकता है.
इस जानलेवा वायरस की चपेट में आने के बाद डायबिटीज रोगियों की शुगर एकदम से बढ़ सकती है. फेफड़ों खराब होने के कारण सांस लेने की तकलीफ बढ़ सकती है. ऐसे मामलों में आईसीयू में दाखिल होने या डेथ रेट बढ़ने की संभावना काफी ज्यादा हो जाती है.