पांच दिन खूब भागदौड़ और तनाव झेलने के बाद छुट्टी आते ही आप देर तक सोना पसंद करते हैं. उस दिन आपका कोई फिक्स शेड्यूल नहीं होता और आप बस आराम फरमाने के मूड में होते हैं. अगर आपके साथ ऐसा है तो जान लें कि सोने के रुटीन में बदलाव करना आपको बीमार कर सकता है.
आजकल शिफ्ट्स में काम करना वर्किंग स्टाइल का एक हिस्सा बन गया है. कभी दिन तो कभी रात और कई बार तो ऐसा होता है कि लगातार कई-कई घंटे काम करना होता है. जब भी ऐसा होता है तो इसका सबसे ज्यादा प्रभाव हमारे सोने के रुटीन पर पड़ता है. सोने के रुटीन में आया यह बदलाव आपको वीकेंड्स पर लेजी बना देता है.
हफ्ते में सोने के दो रुटीन होना, मतलब रोजाना के दिनों में नींद का अलग समय और वीकेंड पर अलग, को सोशल जेट लेग कहते हैं. ऐसा करने से बचें, क्योंकि जैसे ही आप अचानक से अपने सोने और काम करने का समय बदल देते हैं, उसी समय आपके मस्तिष्क को भी पूरी प्रोग्रामिंग बदलनी पड़ती है और उसके लिए यह आसान नहीं होता. नतीजतन, पूरा सिस्टम बिगड़ जाता है और यह डायबिटीज व दिल से जुड़े रोगों को बढ़ाता है.
कुछ शोध से पता चला है कि जीवनशैली से जुड़ी कुछ बीमारियों के लिए वीकेंड का रुटीन ठीक न होना ज़िम्मेदार है. प्रमाण यह बतातें हैं कि जब बॉडी क्लॉक डिस्टर्ब होती है तो मानसिक बीमारियों, मोटापे और पेट के कैंसर जैसी बीमारियों की संभावना भी बढ़ जाती है. शिफ्ट में काम करना खासतौर पर महिलाओं के लिए और भी खराब होता है, और इससे अनियमित पीरियड, ब्रेस्ट कैंसर आदि का खतरे बढ़ जाता है.