आपको लगता है कि जब आप सिनेमा हॉल में जाते हैं तो आप यूं ही सीट का चुनाव कर लेते हैं. लेकिन आप यह जानकर हैरान रह जाएंगे कि इससे आपकी पर्सनैलिटी के बारे में पता चलता है.
मनोवैज्ञानिक हिरोमी मिजूकी के मुताबिक एक व्यक्ति के दिल और दिमाग के अंदरूनी कामकाज सिनेमा सीट के चुनाव को प्रभावित कर सकते हैं.
मिजूकी का मानना है कि जो लोग स्क्रीन के सामने सेंटर वाली सीट लेते हैं वे आत्मविश्वासी और निर्णायक होते हैं. इन सीटों को हॉल में सबसे बेस्ट माना जाता है और इनके लिए अकसर एडवांस बुकिंग करानी पड़ती है. मिजूकी अपनी थ्योरी के समर्थन में दलील देते हैं कि इसके लिए व्यक्ति का दृढ़ निश्चयी और पहले से योजना बनाने वाला होना जरूरी है.
अगर आप स्क्रीन से सबसे पीछे वाली सीट लेते हैं तो इसका मतलब है कि आप शांति प्रिय हैं. लेकिन मिजूकी कहते हैं कि अगर आप दूर की सीट का चुनाव करते हैं तो आप थोड़े संकोची स्वभाव के हैं और आपको दूसरों से प्रभावित होने का डर लगता है.
जो लोग सामाजिक तौर पर ज्यादा सक्रिय होते हैं और जिन्हें लोगों के बीच रहना पसंद है वे स्क्रीन के ठीक सामने फ्रंट रो वाली सीट का चुनाव करते हैं. मिजूकी के मुताबिक, क्योंकि इन सीटों पर बैठने से सिर्फ और सिर्फ परदा नजर आता है. और इन सीटों का चुनाव करने वाले लोग किसी से बात करते समय उनसे पूरा कनेक्शन बनाते हैं.
अगर आप स्क्रीन से थोड़ा हटकर बीच वाली पंक्ति में जानने वालों के बीच बैठना पसंद करते हैं तो इसका मतलब है कि आपको अपनी पर्सनल स्पेस चाहिए और आप केवल उन्हीं लोगों के प्रति झुकाव महसूस करते हैं, जिनके साथ आपको लगता है कि आप जैसे हैं वैसे रह सकते हैं.
मिजूकी की दलील है कि अगर आप हॉल के अंदर पीछे वाली कॉर्नर सीट लेते हैं तो आप ऐसे शख्स हैं जो यह जानना चाहता है कि उसके आसपास क्या चल रहा है, लेकिन उसमें खुद को शामिल करने का आत्मविश्वास नहीं होता.
अगर फ्रंट कॉर्नर पर बैठना आपका स्टाइल है तो आप ऐसे शख्स हैं जिसे असुविधा मंजूर है और मिजूकी सावधान करते हैं कि लोग आपकी इस कमजोरी का फायदा उठा सकते हैं.