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WHO ने कहा- लाखों लोग हैपेटाइटिस B और C के मरीज, जानलेवा है हैपेटाइटिस

विश्व स्वास्थ्य संगठन(WHO) के मुताबिक पूरी दुनिया में लहभग 40 लाख लोग हैपेटाइटिस B और C से पीड़ित हैं. हैपेटाइटस के मरीज का लीवर कमजोर पड़ने लगता है जो बाद में जानलेवा हो सकता है.

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विश्व स्वास्थ्य संगठन(WHO) के मुताबिक पूरी दुनिया में लहभग 40 लाख लोग हैपेटाइटिस B और C से पीड़ित हैं. हैपेटाइटस के मरीज का लीवर कमजोर पड़ने लगता है जो बाद में जानलेवा हो सकता है.

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हैपेटाइटस से पुरुषों में नपुंसकता
नई दिल्ली के एडवांस फर्टीलिटी एंड गायनोकोलॉजिकल सेंटर की निदेशक व आईवीएफ एंड इनफर्टिलिटी स्पेशलिस्ट डॉ. काबेरी बैनर्जी ने बताया कि ज्यादातर लोगों को यह नहीं पता है कि हैपेटाइटिस पुरुषों में नपुंसकता का कारण भी बन सकता है यह माना जाता है कि हैपेटाइटस का ओवेरिया या यूटरिन गलैंड्स पर कोई असर नहीं होता, इस लिए औरतों में बांझपन होने में इसकी भूमिका नहीं मानी जाती, पर इसका गलत असर पुरुषों के स्पर्मेटोजेनेसिस पर पड़ता है, जिससे स्पर्मस में कमी, टेस्टोस्टरॉन के स्तर में कमी और भी समस्याएं हो सकती हैं. इससे पुरुषों की मेल पॉवर पर गहरा असर पड़ता है.

हैपेटाइटिस की वजह
हैपेटाइटिस में पांच किस्म के वायरस A, B, C, D, E और G हैं जांच के लिए आने वाले हैपेटाइटिस के मामलों में 90 प्रतिशत A, B या C के होते हैं हैपेटाइटस B और C आम तौर पर पाए जाने वाले वायरस हैं और इनसे क्रॉनिक बीमारी होती है वॉयरल हैपेटाइटस एक्यूट या क्रॉनिक हो सकता है लेकिन A और E हैपेटाइटिस क्रॉनिक बीमारी नहीं होती हैपेटाइटिस नवजात बच्चे को हो सकती है, यौन संबंधों के दौरान हो सकती है, और संक्रमित खून से हो सकती है पूरी दुनिया में हर साल 1.4 लाख लोग वायरल हैपेटाइटिस से मर जाते हैं

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HBHAG और HCV की जांच क्यों जरूरी?
डॉ. काबेरी बनर्जी का कहना है कि विश्व हैपेटाइटस डे के मौके पर मैं इस बात पर जोर देना चाहूंगी कि बांझपन का इलाज करवा रहे मरीजों को एचबीएचएजी और एचसीवी का टेस्ट करवाना चाहिए, ताकि स्वस्थ साथी, बच्चे और स्टाफ मेम्बर स्टोर में रखे जीमेट्स और एम्बरयोस में संक्रमण न फैल जाए उन्होंने कहा कि जिन जोड़ों में HBHAG और HCV टेस्ट के नतीजे पोजिटिव पाए जाएं, तो उन्हें बच्चे को होने वाले संक्रमण के खतरे के बारे में बताना चाहिए अगर पुरुष या महिला को हैपेटाइटिस A या B है तो हैपेटॉलजिस्ट से सलाह लेनी चाहिए और रिप्रोडक्शन प्रक्रिया उसी वक्त अपनानी चाहिए जब संक्रमण का खतरा बेहद कम हो और अगर मां में संक्रमण बहुत ज्यादा है तो हैपेटाइटस B के मामले में बच्चे पर असर होने की संभावना 80 से 90 प्रतिशत होती है, जबकि हैपेटाइटस C के मामले में 11 प्रतिशत की संभावना होती है.

इनपुट-IANS

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