अमरनाथ धाम श्रद्धालुओं के लिए यह अत्यंत पूजनीय है. जिसने भी इस यात्रा के बारे में जाना या सुना है, वह कम से कम एक बार जाने की इच्छा जरूर रखता है.
ऐसी मान्यता है कि यहां पहुंचता वही है, जिसे बाबा अमरनाथ अपने दरबार में बुलाते हैं.
अमरनाथ की अवस्थिति: अमरनाथ धाम श्रीनगर से लगभग 135 किलोमीटर दूर है.
यह स्थान समुद्रतल से 13,600 फुट की ऊंचाई पर स्थित है. इस स्थान पर ऑक्सीजन की कमी हो जाती है.
जरूरी है पंजीकरण: प्रतिवर्ष अमरनाथ यात्रा के लिए लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं. यात्रा से पूर्व श्रद्धालुओं को पंजीकरण करवाना होता है.
पंजीकरण के लिए भक्तों से कुछ शुल्क जमा करना पड़ता है.
सरकार एवं कुछ निजी संस्थाओं द्वारा यात्रियों को यात्रा सुविधाएं दी जाती हैं.
कैसे पहुंचें: हवाई मार्ग
अमरनाथ दर्शन करने के लिए निकटतम हवाई अड्डा श्रीनगर में है.
पर्यटक श्रीनगर आकर प्रसिद्ध डल झील, मुगल गार्डन आदि देखना नहीं भूलते हैं.
श्रीनगर जम्मू-कश्मीर राज्य की ग्रीष्मकालीन राजधानी भी है.
श्रीनगर भलीभांति हवाई मार्ग और सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है.
रेलमार्ग: निकटतम रेलवे स्टेशन जम्मू है. जम्मू प्रदेश की शीतकालीन राजधानी है.
जम्मू को मंदिरों का शहर भी कहा जाता है.
जम्मू रेलवे स्टेशन देश के अन्य शहरों से पूरी तरह जुड़ा हुआ है.
सड़क मार्ग: जम्मू और श्रीनगर सड़क मार्ग से जुड़े हुए हैं. यहां बस और टैक्सी सेवा आसानी से उपलब्ध है.
अमरनाथ जाने के दो मार्ग:
अमरनाथ यात्रा पर जाने के लिए दो रास्ते हैं, एक पहलगांव होकर तथा दूसरा बालटाल होकर.
इन स्थानों तक दर्शनार्थी बस से आते हैं, इसके बाद का सफर पैदल तय करना होता है.
पहलगांव से होकर जाने वाला रास्ता बालटाल की तुलना में सुगम है.
यही वजह है कि सुरक्षा की दृष्टि से तीर्थ यात्री इसी रास्ते से अमरनाथ जाना अधिक पसंद करते हैं.
हिन्दू-मुस्लिम एकता का प्रतीक: भगवान अपने भक्तों में किसी प्रकार का अंतर नहीं करते हैं, इसका प्रमाण है अमरनाथ धाम.
हिन्दू जिस अमरनाथ धाम की यात्रा को अपना सौभाग्य मानते हैं, उस धाम के बारे में बताने वाला एक मुस्लिम गड़रिया था.
आज भी मंदिर में चढ़ावे का एक चौथाई भाग इस मुस्लिम गड़रिये परिवार को मिलता है.
अमरनाथ धाम का महात्म्य: कहते हैं कि जिस पर भोले बाबा की कृपा होती है, वही अमरनाथ धाम पहुंचता है.
अमरनाथ यात्रा पर पहुंचना ही सबसे बड़ा पुण्य है.
जो भक्त बाबा हिमानी का दर्शन करता है, उसे इस संसार में हर तरह के सुख की प्राप्ति होती है.
कहा जाता है कि इससे व्यक्ति के कई जन्मों के पाप कट जाते हैं और शरीर त्याग करने के बाद वह उत्तम लोक में जगह पाता है.
बालताल से श्रद्धालु पहलगाम पड़ाव तक जाएंगे.
पहलगाम के बाद चंदनवाड़ी दूसरा पड़ाव होगा.
चंदनवाड़ी के बाद शेषनाग तीसरा पड़ाव होगा.
चंदनवाड़ी के बाद श्रद्धालु पंचतरनी पहुंचेंगे.
और अंतिम में श्रद्धालु बाबा के गुफा तक पहुचेंगे.
अमरनाथ हिन्दुओ का एक प्रमुख तीर्थस्थल है. यह जम्मू कश्मीर राज्य में है.
मंगलवार से अमरनाथ यात्रा की शुरुआत हुई है.
अमरनाथ गुफा भगवान शिव के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है. इसे तीर्थों का तीर्थ कहा जाता है क्योंकि यहीं भगवान शिव ने मां पार्वती को अमरत्व का रहस्य बताया था.
श्री अमरनाथ की विशेषता यह है कि यहां की पवित्र गुफा में बर्फ का स्वयंभू शिवलिंग निर्मित होता है.
हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालु यहां दर्शन करने पहुंचते हैं.
अमरनाथ यात्रा जाने के लिए यात्रियों को पहले पंजीकरण कराना होता है.
सभी श्रद्धालु जम्मू में एकत्रित होते हैं.
जम्मू से यात्रियों को एक समूह में अमरनाथ यात्रा पर रवाना किया जाता है. रास्ते में इनकी सुविधाओं का विशेष ख्याल भी रखा जाता है.