मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल की स्थापना 11वीं शताब्दी में परमार राजा भोज ने की थी. उस समय इसे भोजाबल नाम दिया गया था. आज के भोपाल की स्थापना अफगान योद्धा दोस्त मोहम्मद खान ने 1720 में की थी. इसे नवाबों के शहर के नाम से भी जाना जाता है. सर्राफा चौक, मोती मस्जिद, ताज उल मस्जिद, गौहर महल और एक से बढ़कर एक स्थापत्य के नमूने इस शहर की समृद्ध विरासत और संस्कृति की झांकी पेश करते हैं.
ताज उल मस्जिद देश की अपनी तरह की सबसे बड़ी मस्जिद है, इसे नवाब शाह जहां बेगम ने बनवाना शुरू किया लेकिन पैसे की कमी की वजह से देरी होती गई आखिर में जाकर ये 1971 में पूरी हो पाई. वहीं भव्य मोती मस्जिद को दिल्ली की जामा मस्जिद से प्रेरित होकर बनाया गया. 1860 में कुदसिया बेगम की बेटी सिकंदर जहां ने इसे बनवाया.
सिकंदर जहां की बनवाई गई मोती मस्जिद इस्लामी और फ्रांसीसी वास्तुकला का अद्भुत मिश्रण है. गौहर महल ऊपरी झील के किनारे है, इसे कुदसिया बेगम ने 1820 में बनवाया था. यह मुगल और हिंदू स्थापत्य शैली की शानदार मिसाल है. यह पहला महल था, जिसे भोपाल के शासकों ने बनवाया था.
भोपाल में बदलते समय की तेजी के साथ तालमेल बिठाने वाली जगहें और भवन भी कम नहीं, इसमें भारत भवन, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय, रजनल साइंस सेंटर, वन विहार, लक्ष्मी नारायण मंदिर और म्युजियम शामिल हैं. भारत भवन में आर्ट म्युजियम और आर्ट गैलरी भी हैं. श्यामला हिल्स पर 200 एकड़ में फैले मानव संग्रहालय को 1977 में स्थापित किया गया.
भोपाल कैसे पहुंचें
हवाई मार्गः दिल्ली, ग्वालियर, इंदौर और मुंबई से नियमित उड़ानें.
रेल मार्गः भोपाल, दिल्ली-चेन्नै मुख्य लाइन पर है. इटारसी और झांसी के जरिए मुंबई से दिल्ली जा रही गाड़ियां यहां से गुजरती हैं.
सड़क मार्गः इंदौर के साथ नियमित बस सेवा संपर्क. भोपाल (186 किमी), ग्वालियर (432 किमी), जबलपुर (295 किमी) और राज्य के सभी प्रमुख शहरों से सड़क संपर्क.