Char Dham Yatra 2022: कोरोना महामारी के करीब दो साल बाद चार धाम यात्रा 3 मई 2022 से वापस शुरू हुई तो यात्रियों की भीड़ लग गई. दुखद बात ये है कि चार धाम यात्रा के दौरान अभी तक (16 मई तक) 41 लोगों की मौत हो गई है. इस बारे में केन्द्र सरकार ने राज्य सरकार से रिपोर्ट मांगी थी. उत्तराखंड सरकार द्वारा जो रिपोर्ट दी गई है, उसके मुताबिक, श्रद्धालुओं की मौत का प्रमुख कारण यात्रा मार्ग में ऑक्सीजन की कमी को बताया है. इसके अलावा, श्रद्धालुओं की मौत के कारणों में हाई ब्लड प्रेशर, हार्ट संबंधी बीमारियां, पहाड़ी पर चढ़ने संबंधी बीमारियां भी शामिल हैं.
जानकारी के मुताबिक, इसके पहले भी 2019 में 90, 2018 में 102, 2017 में 112 श्रद्धालुओं की मौत चार धाम यात्रा के दौरान हुई थी. अब ऐसे में यात्रा के दौरान कुछ सावधानियां रखनी चाहिए ताकि ऐसे हादसों से बचा जा सके. चार धाम यात्रा के लिए उमड़ी भीड़ को देखते हुए उत्तराखंड सरकार ने हेल्थ एडवाइजरी जारी की है जिसे फॉलो करने की सलाह दी गई है.
इन समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है
उत्तराखंड सरकार द्वारा हेल्थ एडवाइजरी में बताया गया है कि चार धाम यात्रा में सारे तीर्थस्थल हिमालय के ऊंचे क्षेत्रों में हैं, जिनकी ऊंचाई समुद्र तल से 2700 मीटर से भी अधिक है. इन स्थानों में श्रद्धालुओं को अधिक ठंड, कम ह्यूमिडिटी, अधिक अल्ट्रा वॉयलेट रेडिएशन, हवा का कम दबाव और ऑक्सीजन की कम मात्रा का सामना करना पड़ सकता है.
अगर आप भी आने वाले समय में चार धाम यात्रा करने जा रहे हैं तो नीचे एडवाइजरी को जरूर फॉलो करें.
1. हेल्थ स्क्रीनिंग और मेडिकेशन
चार धाम यात्रा से पहले हेल्थ स्क्रीनिंग यानी स्वास्थ परीक्षण जरूर कराएं. स्क्रीनिंग कराते समय डॉक्टर को बताएं कि आप कहां जा रहे हैं. अगर वह रिपोर्ट देखने के बाद आपको सजेस्ट करते हैं तो ही यात्रा के लिए जाएं. अगर आप या आपके साथ जाने वाला कोई व्यक्ति पहले से बीमार है तो डॉक्टर का पर्चा, डॉक्टर का इमरजेंसी मोबाइल नंबर और जरूरी दवाइयां साथ रखें ताकि जरूरत पड़ने पर हर चीज समय पर उपलब्ध हो सके.
2. ऐसे लोग जाने से बचें
एडवाइजरी में कहा गया है कि वृद्ध लोगों को फिलहाल चार धाम यात्रा जाने से बचना चाहिए. इसके साथ ही जो लोग पहले कोरोना पॉजिटिव हो चुके हैं, उन्हें भी वहां जाने से बचना चाहिए. दरअसल, वृद्ध और कोरोना पॉजिटिव हुए लोगों को ऑक्सीजन संबंधित समस्या हो सकती है इसलिए उन्हें भीड़-भाड़ कम होने के बाद ही वहां जाने का प्लान बनाना चाहिए.
3. कम से कम एक दिन आराम करें
पहाड़ी क्षेत्रों में यात्रा के दौरान थकान काफी हो जाती है इसलिए तीर्थस्थल पर पहुंचने से पहले सभी को कम से कम एक दिन आराम जरूर कर लेना चाहिए. इसका कारण है कि आप रोड से सफर के दौरान थक जाएंगे. उसी थकान के साथ तीर्थस्थल पर पहुंचेंगे तो कुछ शारीरिक समस्याएं हो सकती हैं इसलिए इन समस्याओं से बचने के लिए वहां पहुंचकर एक दिन आराम करें और फिर उसके बाद वहां से आगे की यात्रा करें.
3. ठंड के कपड़े साथ रखें
पहाड़ों पर मौसम अक्सर बदलता रहता है. कभी बहुत गर्मी पड़ती है तो कभी बहुत ठंड. कई बार दिन में गर्मी तो शाम होते-होते ठंड होने लगती है. ऐसे में अगर लोग ठंड के मौसम के मुताबिक कपड़े लेकर नहीं जाएंगे तो बीमार पड़ सकते हैं. इसलिए हमेशा सर्दी का ख्याल रखते हुए गर्म और ऊनी कपड़े भी साथ रखें. पहाड़ों में बारिश भी अचानक हो सकती है इसलिए रेनकोट समेत जरूरी चीजें भी साथ में रखें.
4. ये लक्षण वाले लोग रहें सावधान
हार्ट और सांस संबंधित समस्याएं, हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज वाले मरीजों को ऊंचाई वाली जगह पर सावधानी रखने की सलाह दी गई है. इसके अलावा, अगर किसी को सिर दर्द, चक्कर आना, घबराहट, हार्ट रेट तेज होना, उल्टी आना, हाथ-पैर का नीला पड़ना, थकान होना, सांस फूलना, खांसी होना या कोई भी लक्षण नजर आते हैं तो पास के स्वास्थ केन्द्र पर तुरंत मदद के लिए जाएं या फिर हेल्पलाइन नंबर 104 पर कॉल करें.
5. इन बातों का भी रखें खास ख्याल
पहाड़ी क्षेत्रों में जाने पर धूम्रपान और मादक पदार्थों के सेवन से परहेज करें. तेज धूप से बचने के लिए सनस्क्रीन SPF 50 का उपयोग करें. इसके अलावा यूवी किरणों से बचने के लिए सनग्लासेस का उपयोग करें. चढ़ाई के दौरान पानी पीते रहें और भूखे पेट न रहें. एक साथ लंबी दूरी तक न चलें, बीच-बीच में आराम भी करें.