हिमालय की गोद में बसा भारत का छोटा-सा राज्य है सिक्किम, जिसे 'पूर्व का स्विट्जरलैंड' कहा जाता है. यहां के आसमान को छूती हुईं धुंध से ढंकी पहाड़ियां. तीस्ता नदी का कल-कल करता हुआ पानी पहाड़ों की सैर करता हुआ मैदानों में उतरता है. कुछ इस तरह सिक्किम में बसती है प्रकृति की अद्भुत खूबसूरती...
गंगटोक:
सिक्किम की राजधानी गंगटोक बेहद मनमोहक है. पहाड़ियों की ढलान पर दोनों ओर आकर्षक इमारतें दिखाई देती हैं. शहर में पारंपरिक रीति-रिवाजों और आधुनिक जीवनशैली का अनोखा मेल देखने को मिलता है. यह एक खूबसूरत शहर है जहां जरूरत की हर आधुनिक चीजें आसानी से मिल जाती हैं.
युक्सोम:
यह सिक्किम की पहली राजधानी थी. कहते हैं सिक्किम के पहले श्रेष्ठ शासक ने 1641 में तीन विद्वान लामाओं से युक्सोम का शुद्धिकरण कराया था. नोर्बुगांगा कोर्टेन में इस समारोह के अवशेष आज भी मौजूद है. सिक्किम का इतिहास ही यहां से शुरू होता है, इसलिए इस जगह को पवित्र स्थान समझा जाता है. युक्सोम फेमस माउंट कंचनजंघा की चढ़ाई के लिए बेस कैम्प भी है.
सोम्गो लेक:
यह झील एक किलोमीटर लंबी, अंडाकार है. स्थानीय लोग इसे बेहद पवित्र मानते हैं. मई और अगस्त के बीच झील का इलाका बेहद खूबसूरत हो जाता है. सोम्गो लेक में दुर्लभ फूल देखे जा सकते हैं. इनमें बसंती गुलाब, आइरिस और नीले-पीले पोस्त शामिल हैं. झील में जलीय जीव और पक्षियों की कई प्रजातियां मिलती हैं. यह जगह लाल पांडा के लिए भी जानी जाती है. सर्दियों में झील का पानी जम जाता है.
नाथुला दर्रा:
14,200 फीट की ऊंचाई पर, नाथुला दर्रा भारत-चीन सीमा पर स्थित है. यह सिक्किम को चीन के तिब्बत स्वशासी क्षेत्र से जोड़ता है. यह सफर अपने आप में आनंद देने वाला अनुभव है. धुंध से ढंकी पहाड़ियां, टेढ़े-मेढ़े रास्ते और पहाडों से झरते झरने यह रास्ता तो अद्भुत है. इस जगह जाने के लिए पर्यटकों के पास परमिट होना चाहिए.
पेलिंग:
पेलिंग तेजी से लोकप्रिय पर्यटन स्थल बनता जा रहा है. 6,800 फीट की ऊंचाई पर स्थित इसी जगह से दुनिया की तीसरी सबसे ऊंची चोटी माउंट कंचनजंघा को सबसे करीब से देखा जा सकता है. पेलिंग बेहद खूबसूरत है, यहां घूमने लायक जगह हैं सांगा चोइलिंग मोनास्ट्री, पेमायंगत्से मोनास्ट्री और खेचियोपालरी लेक.
रूमटेक मोनास्ट्री:
यह भव्य मठ सिक्किम के जाने-माने टूरिस्ट स्पॉट्स में से एक है. इसी जगह पर 16वें ग्यालवा कर्मापा का घर है. मठ में अनोखी कलाकारी दिखती है. गोल्डन स्तूप इस मठ का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है.
डो-द्रुल कॉर्टेन:
तिब्बती बौद्ध केनिंगमा ऑर्डर के प्रमुख ने इसे 1945 में बनवाया था. यह सिक्किम के सबसे खूबसूरत स्तूपों में से एक है. यहां 108 प्रार्थना चक्के लगे हैं. इसमें कई मांडला सेट्स हैं, अवशेषों का एक सेट और कुछ धार्मिक सामग्रियां भी हैं. यहां बौद्ध गुरुओं की प्रतिमाएं भी हैं.
सिक्किम घूमने के लिए सही वक्त:
पहाड़ों पर चढ़ाई करने वाले इस राज्य को घूमने के लिए अप्रैल और मई अच्छे हैं. यह साल का वह वक्त होता है, जब ऑर्किड और रोडोडेन्ड्रंस की छटा पूरी पहाड़ी पर छाई होती है.