भगवान श्री गणेश के आगमन का महोत्सव बड़े ही घूमधाम से पूरे देश में मनाया जाता है. मुंबई समेत पूरे महाराष्ट्र में इस पर्व का बड़ा ही महत्व है. मुंबई में इस दौरान कई गणेश पंडाल लगाए जाते हैं जिनमें सबसे प्रसिद्ध है लालबागचा राजा पंडाल.
लालबागचा राजा कितने लोकप्रिय हैं इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उनके दर्शन के लिए श्रद्धालु लंबी-लंबी कतारों में घंटों इंतजार करते हैं. दरअसल यह माना जाता है कि यहां के गणेश प्रतिमा के दर्शन करने मात्र से श्रद्धालुओं की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं.
मुंबई में लालबागचा राजा के दरबार में राजनेता से लेकर अभिनेता तक सभी सिर नवाते हैं. सुख, सम्मान, ऊंचाई, पद और सफलता की चाह में साधारण से लेकर असाधारण लोग राजा के दर्शन के लिए कई किलोमीटर लंबी यात्रा पूरी कर यहां पहुंचते हैं. घंटों कतार में खड़े रहकर राजा गणेश के दर्शन कर श्रद्धालु धन्य हो जाते हैं. कोई मन्नत पूरी करने पर राजा का आभार मानता है तो कोई नई कामना करता है.
पंडाल
लालबागचा राजा ‘लालबागचा राजा सार्वजनिक गणेशोत्सव मंडल’ की प्रसिद्ध प्रतिमा है. इस मंडल को पहले सार्वजनिक गणेशोत्सव मंडल, लालबाग के नाम से जाना जाता था. वर्तमान मंडल की स्थापना 1934 में की गई थी.
कैसे हुई स्थापना
इस मंडल की स्थापना तब की गई जब देश स्वतंत्रता के लिए संघर्ष कर रहा था. इस पंडाल की स्थापना के पीछे एक प्रतिज्ञा का हाथ है जिसे यहां के मछुआरों और विक्रेताओं ने लिया था. लालबाग मार्केट पहले पेरु चाल में स्थित था लेकिन 1932 में इसे बंद कर दिया गया. तब यहां के खुले स्थानों में बैठने वाले मछुआरों और विक्रेताओं ने भगवान गणेश के सामने प्रण लिया वो एक स्थाई मार्केट बनवाएंगे और उनकी प्रतिमा को स्थापित करेंगे. इस प्रण का नतीजा है कि मछुआरों और स्थानीय व्यापारियों ने मिलकर 12 सितंबर 1934 को गणेश की प्रतिमा स्थापित की. तब से लेकर आज तक लालबागचा राजा अपने भक्तों की मनोकामना पूर्ति करने वाले के रूप में प्रसिद्ध हैं.
करोड़ों का बीमा
मुंबई के ‘लालबागचा राजा’ की लोकप्रियता कितनी है इसका एक अनुमान इससे भी लगाया जा सकता है कि लालबागचा राजा का बीमा करोड़ों में कराया जाता है. 2011 में लालबागचा राजा का 14 करोड़ रुपये का बीमा कराया गया था.
करोड़ों का चढ़ावा
लालबागचा के दर्शन करने श्रद्धालु दूर-दराज से यहां पहुंचते हैं और मन्नत पूरा होने पर दिल खोल कर ‘दान हुंडी’ में चढ़ावा देते हैं. 2011 में दान हुंडी 27 जगहों पर रखे गए थे. लालबाग के राजा को भक्त सोने और चांदी से बने गुलाब के फूल-मोदक और मूषक चढ़ातें हैं. गणोशोत्सव के दौरान ‘लालबाग के राजा’ को करोड़ों का चढ़ावा मिलता है जिसकी बाद में नीलामी की जाती है. ये नीलामी गणेशोत्सव के बाद भी जारी रहती है.
2011 में रिकार्डतोड़ चढ़ावा
लालबाग के राजा की दान हुंडी में प्रत्येक साल रिकार्डतोड़ चढ़ावा आता है. लालबाग के राजा को साल 2011 के गणेशोत्सव के दस दिनों के दौरान 8 करोड़ रुपये का चढ़ावा आया. इसके अलावा करीब 10 किलो स्वर्ण आभूषण, 100 किलो सोने के पत्तर लगे सामान जबकि 300-400 किलो चांदी और चांदी से बने सामानों का चढ़ावा मिला. इस तरह कुल प्राप्त चढ़ावे की अनुमानित कीमत 10.63 करोड़ रुपये आंकी गई है. इसमें से गणपति की सोने-चांदी की प्रतिमाएं और आभूषण की बाद में नीलामी की गई. साल 2010 में 2.1 करोड़ की नीलामी की गई थी.
मान्यताएं
मान्यता है कि लालबागचा राजा के दर्शन मात्र से ही सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. इसके साथ ही धार्मिक आस्था यह भी है कि लालबागचा राजा के चरण का सिंदूर हर मनोरथ और कामना को पूर्ण कर देता है. अतः कोई भक्त लालबागचा राजा के चरण से सिंदूर लेना नहीं भूलता. लालबागचा राजा की विशालता, वैभव के दर्शन कर जहां गरीब व्यक्ति भी खुद को संपन्न महसूस करता है, वहीं अमीर व्यक्ति स्वयं का वैभव भूलकर नतमस्तक हो जाता है.
विसर्जन
लालबागचा राजा की विदाई से कुछ समय पहले राजा के दरबार बंद कर दिए जाते हैं. सुबह करीब ग्यारह बजे लालबागचा राजा की मंगल आरती होती है इसके बाद राजा की सवारी निकाली जाती हैं. परंपरा के मुताबिक लालबाग के राजा की सवारी को लोग हाथ से खींचते हुए विसर्जन स्थल तक ले जाते हैं. ‘गणपति बप्पा मोरया और अगले बरस तू जल्दी आ’ के नारे लगाते मुंबईकरों के लिए यह दिन बेहद खास होता है. करीब पंद्रह किलोमीटर का सफर पूरा करके लालबाग के राजा गिरगांव चौपाटी पहुंचते हैं.
विसर्जन के दौरान मुंबई पुलिस के स्पीड बोट समंदर में गश्त लगाती हैं, जगह जगह जमीन औऱ समंदर में चलने वाली बोट को भी तैनात किया जाता है. विसर्जन के लिए कई सड़कों को बंद किया जाता है या फिर यातायात को डायवर्ट किया जाता है. लोगों में इस महोत्सव को लेकर इतना उत्साह होता है कि जहां देखो वहीं श्रद्धालुओं की भीड़-ही-भीड़ नजर आती है. श्रद्धालु गणपति विसर्जन में शामिल हो सकें इसके लिए पश्चिम रेलवे और बेस्ट ने भी विशेष इंतजाम करते हैं. इस दौरान मुंबई की आबोहवा में ‘गणपति बप्पा मोरया’ का जयघोष गूंज उठता है.
हिंदू-मुस्लिम मिल कर करते हैं विसर्जन
भायकुला रेलवे स्टेशन के समीप रहने वाले मुस्लिम समुदाय के लोग भी ‘लालबाग के राजा’ के विसर्जन में शामिल होते हैं. धार्मिक बंधनों को तोड़ता यह विसर्जन हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक भी बनता है. इस विसर्जन में लोग मुंबई के सुदूर अंबरनाथ तक से आते हैं.
कैसे पहुंचे मुंबई
महानगर मुंबई देश के सभी प्रमुख शहरों से बस, वायु और रेलमार्ग से जुड़ा है. जहां गणेशोत्सव के दौरान अगर आप जाते हैं तो आपके पर्यटन के आनंद को यह दोगुना कर देगा. मुंबई के साथ ही पूरा देश गिरगांव चौपाटी, जूहू चौपाटी, वोरिबली, वर्सोवा और मड मार्वे जैसे एक सौ पांच जगहों पर विसर्जन का भव्य नजारा देखने को बेताब रहता है. तो इस गणेशोत्सव में पहुंचे मुंबई और करें बप्पा के दर्शन.