scorecardresearch
 

यहां पर्यटकों को एक बाल्टी पानी के लिए चुकाने पड़ रहे हैं 100 रुपये

अगर शिमला जाने का प्‍लान बना रहे तो इस बार आपको थोड़ी सी दिक्‍कत हो सकती है क्‍योंकि इस हिल स्‍टेशन पर हो गई है पानी की कमी...

Advertisement
X
शिमला पर्यटन झेल रहा है जल संकट
शिमला पर्यटन झेल रहा है जल संकट

Advertisement

अपनी खूबसूरती और मौसम के लिए पूरी दुनिया के पर्यटकों को अपनी तरफ खींचने वाला शहर शिमला आज जल संकट से जूझ रहा है. आज हालात ऐसे हो चुके हैं कि यहां के होटलों के साथ-साथ पर्यटकों को भी जरूरत की हर बाल्टी पानी के लिए मोटी रकम ढीली करनी पड़ रही है.

पानी के लिए पर्यटक चुका रहे हैं कीमत
लखनऊ से यहां पर्यटक के रूप में आईं दीप्ति भटनागर ने बताया कि जिस होटल में हम लोग ठहरे हैं, वहां बिल्कुल पानी नहीं है. एक बाल्टी पानी के लिए हमसे 100 रुपये लिए गए. उनके पति ने बताया कि संभवत: यह देश का एकमात्र पर्यटन स्थल है जहां पर्यटकों से शायद यह उम्मीद की जा रही है कि वे पानी साथ लेकर आएं.

पिछले कुछ दिनों से पानी की आपूर्ति है ढप्‍प
शिमला के अधिकांश नल सूखे हुए हैं. पानी की आपूर्ति दो-तीन दिनों में एक बार ही होती है. आस-पास के इलाकों में तो हफ्ते में एक ही दिन नल से पानी मिलता है. इससे शिमला के 450 होटल और गेस्ट हाउस के मालिक और प्रबंधक बहुत दुखी हैं. ओबेराय समूह के क्लार्क्‍स होटल के महाप्रबंधक डी. पी. भाटिया ने कहा, 'हम अपनी रोजाना की जरूरतों के लिए पांच हजार रुपये में तीन हजार लीटर पानी का टैंकर खरीद रहे हैं.' उन्होंने कहा कि निजी आपूर्तिकर्ता शिमला के बाहरी इलाकों में स्थित प्राकृतिक संसाधनों से ही होटलों में बेचने के लिए पानी ला रहे हैं.

Advertisement

अश्वनी कुंड से लिया जाएगा पानी
नगर निकाय के अधिकारियों का कहना है कि दो जनवरी को जब से पीलिया फैलने के बाद अश्वनी कुंड से पानी की आपूर्ति रोक दी गई, तब से पानी की कमी और अधिक हो गई है. पीलिया फैलने से पहले शिमला की एक तिहाई आबादी के लिए अश्वनी कुंड जल स्रोत था और वहां से प्रति दिन एक करोड़ लीटर पानी की आपूर्ति होती थी. हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने यहां एक आपातकालीन बैठक में अधिकारियों को कुंड को प्रदूषण मुक्त करके का उपाय करते हुए इससे पानी की आपूर्ति बहाल करने का निर्देश दिया.

करोड़ों रुपये हो रहे हैं खर्च
राज्य सरकार ने विधानसभा को पिछले हफ्ते जानकारी दी है कि शिमला में प्रति दिन 4.2 करोड़ से 4.3 करोड़ लीटर पानी की खपत है लेकिन आपूर्ति 3.2 करोड़ से 3.5 करोड़ लीटर हो रही है. सरकार ने कहा है कि शहर में पानी हर दूसरे दिन मात्र 45 से 90 मिनट दिया जा रहा है. हालांकि, लगता है यह दावा भी बढ़ा-चढ़ाकर किया गया है. स्थानीय विधायक सुरेश भारद्वाज ने पानी संकट का मुद्दा विधानसभा में उठाया था. उन्होंने कहा कि तीन-चार दिन के बाद महज 20-25 मिनट के लिए पानी आता है.

Advertisement
Advertisement