यह नगरी शिप्रा नदी के किनारे स्थित है. महाभारत काल में उज्जयनी के नाम से जाना जाता था और अवंति राज्य की राजधानी था. हिंदू ग्रंथों के अनुसार यह सप्तपुरी नगरों में एक है जो जीवन और मौत के चक्र को खत्म कर मोक्ष देता है. उज्जैन देश के उन चार शहरों में भी है जहां हर 12 साल में कुंभ मेला लगता है. अगला कुंभ मेला यहां 2016 में लगेगा.
उज्जैन अपने मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है, खासकर महाकालेश्वर मंदिर के लिए. यह 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है. यह देश के अकेले ज्योतिर्लिंगों में से है दक्षिणायन है. श्रद्धालु यहां रोज सुबह चार से छह बजे के बीच होनी वाली भस्म आरती के लिए बड़ी संख्या में जुटते हैं.
यहां का हरसिद्धी मंदिर 64 शक्तिपीठों में से एक है, जहां सती की एक कोहनी गिरी थी. उज्जैन को संदिपनी आश्रम के होने पर भी गर्व है, जो भगवान कृष्ण और बलराम के गुरु थे, जहां इन दोनों ने आश्रम जाकर शिक्षा ग्रहण की थी.
यहां जयपुर के महाराजा सवाई जय सिंह की बनवाई गई वेधशाला भी आकर्षण का केंद्र है. इसे 1725 और 1730 के बीच बनाया गया था ताकि ग्रहों और नक्षत्रों का अध्ययन किया जा सके. यह महाकाल मंदिर से दो किलोमीटर दक्षिण पश्चिम में स्थित है.
उज्जैन कैसे पहुंचें
हवाई मार्गः करीबी हवाई अड्डा इंदौर (55 किमी)
रेल मार्गः उज्जैन देश के सभी प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है.
सड़क मार्गः इंदौर, खरगोन, खंडवा, ओंकारेश्वर.