श्री सम्मेद शिखर जी जैन धर्म का एक बहुत ही पवित्र और सर्वोपरि तीर्थ है. श्री सम्मेद शिखर जी आजकल बहुत चर्चा में है. और इसकी वजह है सरकार की इस तीर्थ को पर्यटन स्थल में बदलने की अधिसूचना. इस पर जैन समाज ने काफी विरोध भी किया है. बहरहाल, क्या आप जानते हैं कि श्री सम्मेद शिखर जी में आखिर ऐसा क्या है जो सारा जैन समाज आज एकजुट होकर सड़क पर उतर आया है. आइए श्री सम्मेद शिखर जी के बारे में आपको विस्तार से बताते हैं.
श्री सम्मेद शिखर जी वो तीर्थ है, जहां जैन धर्म के 24 में से 20 तीर्थंकरों को मोक्ष की प्राप्ति हुई. श्री सम्मेद शिखर जी झारखंड राज्य की मधुबनी पहाड़ियों में स्थित है, जहां पहुंचना बहुत आसान है. श्री सम्मेद शिखर जी का सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन ईसरी में है, जो पारसनाथ स्टेशन के नाम से जाना जाता है. कोलकाता जाने वाली कई ट्रेनें इस स्टेशन से होकर ही गुजरती हैं. स्टेशन से महज 23 किलोमीटर की दूरी पर मधुबनी जिला है, जहां श्री सम्मेद शिखर जी स्थित है. आप पारसनाथ स्टेशन से गाड़ी या बस लेकर यहां आसानी से पहुंच सकते हैं. अगर आप फ्लाइट से जाना चाहते हैं तो रांची (झारखंड), पटना और कोलकाता में इसका सबसे नजदीकी हवाई अड्डा है.
श्री सम्मेद शिखर जी में कहां रुकें?
श्री सम्मेद शिखर जी में श्रद्धालुओं के ठहरने के लिए बहुत अच्छी व्यवस्था की गई है. यहां रुकने के लिए आपको कई धर्मशालाएं मिल जाएंगी. आप तेरह पंती, बीस पंती कोठी और गुणायतन जैसी कुछ प्रसिद्ध धर्मशालाओं में भी रुक सकते है. इसके अलावा, यहां कई दिगंबर और श्वेतांबर धर्मशालाएं भी हैं. आपको गुणायतन में वन बीएचके फ्लैट भी आराम से मिल जाएगा.
कैसे करें पर्वत की वंदना?
श्री सम्मेद शिखर जी की पूरी वंदना, आसान शब्दों में कहें तो पर्वत की यात्रा कुल 27 किलोमीटर की है. इसमें 9 किमी की चढ़ाई, 9 किमी का उतार और 9 किमी की पर्वत वंदना शामिल है. पर्वत पर चढ़ने का सबसे सही समय रात 2 से सुबह 4 बजे के बीच होता है. रात के वक्त लोग आसानी से बिना घबराए पहाड़ चढ़ सकते हैं. पहाड़ की पूरी यात्रा करने में लगभग 12 घंटे लगते हैं. चूंकि पर्व पर रुकने का कोई साधन नहीं है, इसलिए लोग आधी रात से वंदना शुरू कर देते हैं, जिससे कि वे दोपहर या शाम तक वापस आ सकें.
अगर पर्वत पर आप जल्दी पहुंच जाते हैं तो सनराइज का आनंद भी ले सकते हैं. बादलों से ऊपर पहाड़ पर सुबह की मंद-मंद धूप मन को बहुत सुकून देती है. वंदना करते वक्त रास्ते में मिलने वाला नींबू पानी आपकी वंदना में रस भर देता है. वैसे पहाड़ पर थकान मिटाने के लिए चाय-बिस्किट जैसी चीजें भी मिल जाती हैं. लेकिन आप अपना सारा सामान साथ लेकर चलें तो बेहतर होगा. पर्वत पर जाते वक्त मोटे मोजे जरूर पहनें, क्योंकि लगातार चलने से पैरों में छाले पड़ सकते हैं. वंदना के दौरान एक छोटी टॉर्च साथ जरूर रखें, जो अंधेरे में आपकी राह आसान बनाएगी.
श्री सम्मेद शिखर जी जाने का सबसे अच्छा मौसम ठंड का होता है, क्योंकि आप बिना थके आसानी से लंबी दूरी तय कर पाते हैं. बारिश के मौसम में श्री सम्मेद शिखर जी की वंदना ना करें. इसमें मौसम में जोखिम ज्यादा रहता है. अगर आप गर्मी सहन कर सकते हैं और तेज धूप में चल सकते हैं तो आपको ठंड आने का इंतजार नहीं करना पड़ेगा. श्री सम्मेद शिखर जी की यात्रा के वक्त 3-4 दिन का समय निकालकर आएं ताकि नीचे स्थित मंदिरों की भी यात्रा की जा सके.
वंदना करते वक्त क्या न करें?
वंदना करते वक्त ऐसी बहुत चीजें हैं, जो आपको ध्यान में रखनी है. पहाड़ पर जाते वक्त जूते-चप्पल ना पहनें. इसकी बजाए आप मोटे मोजे पहन सकते हैं. कोशिश करें कि भगवान के दर्शन के बाद ही आप कुछ खाएं. इससे आपका पुण्य बढ़ेगा. वंदना करते वक्त छड़ी का इस्तेमाल जरूर करें. लंबी यात्रा में ये बहुत मददगार साबित होगी. अगर आप मंदिर में पूजा करना चाहते हैं तो पूजा के वस्त्र अलग से जरूर रखें. पहाड़ पर यात्रा के दौरान पेट भरकर न खाएं. इससे आपको चलने में दिक्कत आ सकती है. अगर बारिश के मौसम में यात्रा करने जा रहे हैं तो छाता और रेनकोट साथ जरूर रखें.