गुजरात में हर साल की तरह इस साल भी कच्छ शहर में रण महोत्सव शुरू हो चुका है. पर्यटकों के बीच इस महोत्सव को लेकर खासा उत्साह देखा जाता है. पर्यटकों को इस साल से एक योजना के तहत लोकल घरों में रहने की सुविधा दी जाएगी.
2005 में इस उत्सव की शुरुआत दो से तीन दिन तक के आयोजन के तौर पर हुई थी लेकिन इसमें पर्यटकों की बढ़ती दिलचस्पी देख इसकी अवधि बढ़ाकर 90 दिन कर दी गई.
पर्यटकों को मिलेगा नई योजना का लाभ
पर्यटकों के रहने की सुविधा के लिए गुजरात की मुख्यमंत्री आंनदीबेन पटेल ने एक नई योजना शुरू की है जिसका नाम है भूंगस. इसी सुविधा में पर्यटकों को वहां के पारंपरिक घरों में रहने का मौका मिलेगा. इस योजना का सबसे ज्यादा लाभ राज्य को और वहां आने वाले पर्यटकों को होगा क्योंकि वे वहां के लोकल लोगों के साथ रहने के साथ ही उनके खानपान व संस्कृति को करीब से जान पाएंगे.
कभी देखा है सफेद रेगिस्तान
कच्छ का मुख्य आकर्षण है रण में फैला सफेद नमक का रेगिस्तान, जो शाम ढलने पर चांद की रोश्नी में बहुत ही सुंदर लगता है. पर्यटकों के बीच में इसे देखने का उत्साह कुछ ज्यादा ही होता है, इसीलिए हर साल यहां आने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है.
मन मोह लेते हैं लोक सांस्कृतिक कार्यक्रम
रण उत्सव के दौरान गुजरात के कई लोक सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है जिसमें वहां के कलाकार गीत-संगीत और नत्य की प्रस्तुति देते हैं. रंग-बिरंगे परिधानों में सजे ये कलाकार बरबस ही आपका मनमोह लेंगे. यहां के तीज त्योहार के रंग और उनकी परंपरा को पास से देखने का एक अलग ही मजा है. यहां के पसंदीदा लोक नृत्य हैं - गरबा, गरबी और रास. इन सांस्कृतिक कार्यक्रमों की स्टेज पर प्रस्तुति देखने के लिए जगह-जगह से पर्यटक जुड़ते हैं.
इन्हें ले जाना न भूलें
कच्छ में हस्तकला का बेहतरीन काम देखने को मिलता है. दुनिया भर में बिकने वाले यहां के हैंडक्राफट में सबसे खास है हाथ की कढ़ाई. यहां की लाेकल महिलाएं और लड़कियां इस काम के जरिए अपनी कला को दूर-दूर तक पहुंचाने का काम कर रही हैं. यहां मशहूर कारगरी के नाम हैं- अहिर, राबरी, सिंधी, बन्नी आदि. अगर एथनिक कपड़ों के शौकीन हैं तो फिर यहां से खाली हाथ लौट नहीं पाएंगे. साथ ही मिट्टी के बर्तनों पर रंगों की कारगरी भ्ाी आपका ध्यान आकर्षित करेगी.
बड़ी संख्या में पहुंचते हैं विदेशी पर्यटक
भारत के अलावा अन्य देशों से भी बड़ी संख्या में पर्यटक पहुंचते हैं. अपने कैमरे में रण उत्सव की यादें समेटते ये पर्यटक भारत की कला और संस्कृति की कुछ झलक अपने साथ ले जाने हर साल यहां आते हैं. रण उत्सव में जाने का मन बना रहे हैं तो ऊंट गाडि़यों की सवारी का भी मजा लेना न भूलें. इनको चलाने वाले वहां के लोकल लोग होते हैं जो इस उत्सव के दौरान पर्यटकों को रण के खूबसूरत नजारों की सैर कराने ले जाते हैं.
आसपास के आकर्षण
इतनी दूर आकर आसपास की जगह नहीं देखी तो फिर कहीं ट्रिप का मजा किरकिरा सा न लगे. कच्छ के आसपास की जगह जैसे- आइना महल, काला डूंगर, मांडवी बीच, स्वामीनारायण मंदिर आदि की तरफ भ्ाी आप रुख कर सकते हैं.
कैसे पहुंचे
यहां हवाई सेवा, रेल और सड़क मार्ग से पहुंचा जा सकता है. भुज हवाई सेवा से जुड़ा है और देश के प्रमुख शहरों से एयर लाइंस सेवा
द्वारा पहुंचा जा सकता है. इसके अलावा भुज देश के प्रमुख रेल नेटवर्क से भी
जुडा़ है. जहां तक बात रही सड़क मार्ग से यहां पहुंचने की तो राज्य के
प्रमुख शहरों से यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है. इस उत्सव का रोमांच इतना
है कि सैलानी यहां पैकेज टूर के साथ आते हैं.
हर साल तीन महीने तक चलने वाले इस महोत्सव में पूरे विश्व से आए हुए पर्यटकों का जमावाड़ा लगता है. फिलहाल यह फरवरी तक चलेगा. तो अगर आप अभी तक इस महोत्सव में नहीं पहुंचे हैं तो फिर बैग को पैक करिए और निकल जाइए सफेद रेगिस्तान का दीदार करने .