बुंदेलखंड क्षेत्र उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों में बसा है. अपने भौगोलिक विस्तार, सांस्कृतिक विविधता और इतिहास के कारण बुंदेलखंड को बेहद करामाती और शानदार शहर का दर्जा मिला है. इस साल मौसम विभाग ने अनुमान लगाया है कि बुंदेलखंड में सामान्य से अधिक बारिश होगी. इससे फार्मिंग और टूरिज्म दोनों को फायदा होगा.
बुंदेलखंड का मानसून..
इस बार मानसून में क्यों न आप बुंदेलखंड का ट्रिप प्लान करें. बुंदेलखंड आएं और देखें यहां की खूबसूरती. उत्तर प्रदेश टूरिज्म बहुत सारे ट्रेवल पैकेज देता है. या फिर आप खुद से भी बुंदेलखंड के राजसी किलों और शानदार मंदिरों को देखने के लिए यहां का एक टूर प्लान कर सकते हैं.
बुंदेलखंड सर्किट में झांसी, देवघर, कालिंजर, ललितपुर, चित्रकूट, कल्पी, महोबा और बरुआ सागर जैसे टूरिस्ट-डेस्टिनेशन हैं. मानसून के समय इन जगहों की सफर एक सुखद अनुभव हो सकता है. बुंदेलखंड में 90 प्रतिशत बारिश जून से अक्टूबर में होती है. यहां सबसे ज्यादा बरसात जुलाई और अगस्त में होती है.
मानसून की हरियाली:
बुंदेलखंड ट्रिप में आपको बंजर पहाड़ियां, जंगल और गहरे नाले बहुत मिल जाएंगे. लेकिन आप मानसून में यहां के सफर पर आएंगे तो नदियों में कल-कल करती पानी की धारा आपका मन मोह लेगी. साथ ही यहां चारों ओर हरियाली ही हरियाली नजर आएगी जिस पर आप मंत्र-मुग्ध हो जाएंगे.
आमतौर पर बंजर रहने वाले इस क्षेत्र में बारिश हो जाने से खुशहाली छा जाती है. पहले यहां राजा और ऋषि-मुनि आते थे लेकिन अब ये जगह नए पर्यटकों के बीच आकर्षण का केंद्र है. हर साल देश-विदेश से लाखों पर्यटक यहां की प्राकृतिक छटा का आनंद उठाने आते हैं.
झांसी- बुंदेलखंड का गेटवेः
अपनी बुंदेलखंड यात्रा की शुरुआत झांसी से करें. झांसी के किले में 1857 में रानी लक्ष्मी बाई का ऐतिहासिक युद्ध भी यहां की खास बात है. ठंडी-ठंडी हवा के साथ बारिश की बूंदें आपके तन-मन को छू लेंगी. झांसी फोर्ट के लॉन, हाथी दर्शनीय हैं.
इसके पास में ही रानी महल भी है, जो रानी का निवास हुआ करता था. वहां महारानी लक्ष्मीबाई पार्क भी है, जहां हर शाम लाइट एंड साउंड शो होता है. गणेश मंदिर, स्टेट म्यूजियम भी आकर्षण के अन्य केंद्र हैं.
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झांसी के आसपास भी घूमने लायक हैं कई जगहें:
जब आप झांसी से बाहर महोबा रोड पर जाते हैं तो 9वीं सदी में बने 'जराई का मठ' मंदिर जरूर देखें. इस मंदिर में शक्ति की अराधना होती है. इसी रोड पर आगे ट्रेवल करते समय आपको खूबसूरत बरूआ सागर झील और किला देखने को मिलेगा. कुछ किलोमीटर आगे जाने पर आप जलाशयों की दुनिया से रूबरू होंगे. पहुज डैम, परीछा डैम, तलबेहत और माताटीला डैम के निर्मल शांत पानी से आपको बहुत सुकून मिलेगा.
देवघर और ललितपुर- किले, मूर्तियों और गुफाओं की दुनियाः
झांसी से 120 किलोमीटर दूर ललितपुर के पहाड़ी इलाके के पास बेतवा नदी के किनारे 'फोर्ट ऑफ द गॉड्स' यानी देवघर स्थित है. देवघर से कुछ किलोमाटर पहले महावीर स्वामी सेंचुरी है. इसके पास ही गुप्त वंश के समय बना दशावतार मंदिर भी है. देवघर के करीब आते ही आप एक पहाड़ी पर बने 31 जैन मंदिर देखेंगे जो 9वीं सदी में बने थे. पहाड़ी के पास ही एक जंगल है, जिसमें सिद्धी गुफा है.
ललितपुर में दरगाह हजरत सदन शाह और छत्रपाल जैन मंदिर देखने लायक जगह है. देवघर में पांडव वन भी है. कहा जाता है कि पांडवों ने यहां अपना वनवास काटा था. बेतवा नदी घाटी के पास मचकुंड गुफा फेमस टूरिस्ट स्पॉट है.
कालिंजर:
सुहाने मानसून सीजन में बांदा से 69 किलोमीटर और झांसी से 280 किलोमीटर की दूरी पर स्थित कालिंजर किले की यात्रा आपके लिए यादगार रहेगी. यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है. इस किले में शिवलिंग और देवी-देवताओें की मूर्तियां पत्थर की दीवारों पर उकेरी गई हैं.
महोबा- पान और वॉटर इंजीनियरिंग का मेल:
यह झांसी से 140 किलोमीटर दूर है. बारिश के मौसम में अगर आप महोबा जाते हैं तो आपको फूलों और हरियाली से घिरी हुईं बहुत सी छोटी पहाड़ियां और झिलमिलाती झीलें दिख जाएंगी. महोबा फोर्ट पहाड़ पर स्थित है. चंदेलों द्वारा बनाई गईं झीलें अपने सफल वॉटर मैनेजमेंट सिस्टम के कारण बेहतरीन इंजीनियरिंग का नमूना मानी जाती हैं.
महोबा पान उत्पादन के लिए भी जाना जाता है. महोबा से 2 किलोमीटर दूर राहिला गांव में ग्रेनाइट से बना प्राचीन सूर्य मंदिर है, जिसे देखकर आपकी नजरें ठहर जाएंगी. वैसे महोबा को 'झीलों का शहर' भी कहा जाता है.
अगर आप एडवेंचरस हैं और साथ ही प्यार और भगवान को इंसानी रूप में महसूस करना चाहते हैं तो बुंदेलखंड जरूर आएं. अधिक जानकारी के लिए उत्तर प्रदेश के टूरिज्म वेबसाइट www.uptourism.gov.in देखें.
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