एक से ज्यादा बच्चे पैदा करने में पेरेंट्स को कई तरह अनुभवों से गुजरना पड़ता है. कुछ लोग दो बच्चों की उम्र के बीच में ज्यादा अंतर नहीं चाहते हैं. इसके पीछे आमतौर यही वजह मानी जाती है कि दोनों बच्चों की परवरिश एक साथ हो जाने से पेरेंट्स की आगे मुश्किल कम हो जाती है. वहीं, कुछ लोग बच्चों के उम्र में ज्यादा फासला रखना चाहते हैं ताकि वो हर बच्चे के साथ उसके बचपन को एंजॉय कर सकें.
(प्रतीकात्मक तस्वीर)
फैमिली को कैसे बढ़ाना है या फिर बच्चों के बीच का अंतर कितना हो, ये पूरी तरह पेरेंट्स का निर्णय होता है. हालांकि, उम्र का फासला ज्यादा या कम होने के फायदे और नुकसान दोनों हैं. फिर भी अगर आप दो बच्चों की उम्र में अंतर को लेकर दुविधा में हैं तो मेडिकल एक्सपर्ट्स की कुछ सलाह आपके काम आ सकती हैं.
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जल्दी प्रेग्नेंसी के खतरे- अगर आप और आपके पार्टनर की उम्र कम है और आप अपनी फैमिली को जल्दी बढ़ाना चाहते हैं तो प्रेग्नेंसी में सुरक्षा का खास ख्याल रखें. दूसरी बार की प्रेग्नेंसी प्लान करने में आप अपने डॉक्टर की सलाह ले सकते हैं. 2018 की एक स्टडी के मुताबिक, दो प्रेग्नेंसी में 12 महीने से कम अंतर होने की वजह से बीमारी, समय से पहले डिलीवरी और यहां तक कि मां की जान जाने का भी खतरा रहता है.
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स्टडी के अनुसार, दो प्रेग्नेंसी के बीच में कम से कम 18 महीने का अंतर होना चाहिए. वहीं, कई हेल्थ एक्सपर्ट्स दो प्रेग्नेंसी के बीच 18-24 महीने का फासला रखने की सलाह देते हैं. डॉक्टर्स का कहना है कि 18 महीने से कम समय में दूसरी प्रेग्नेंसी में बच्चा समय से पहले और कम वजन वाला हो सकता है.
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खासतौर से अगर पहला बच्चा ऑपरेशन से हुआ हो तो दूसरा बच्चा जल्दी प्लान करना मां की सेहत के लिए खतरनाक हो सकता है. प्रेग्नेंसी के बीच फासला ना होने से ऑपरेशन का टाका पूरी तरह नहीं सूख पाता है और दूसरी डिलीवरी में ये कमजोर होकर जल्दी टूट सकता है.
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डिलीवरी के समय दिक्कत के अलावा और भी कई समस्याएं जल्दी प्रेग्नेंसी से हो सकती हैं. जैसे कि पहली प्रेग्नेंसी से बढ़ा वजन कम ना हो पाना, शरीर में पोषक तत्वों की कमी, मां की मानसिक स्थिति में बदलाव और बच्चों की सही देखभाल जैसी कई दिक्कतें झेलनी पड़ सकती हैं.
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डॉक्टर्स का कहना है कि दो बच्चों के बीच कितना अंतर हो, ये माता-पिता की उम्र के अलावा उनकी आर्थिक-सामाजिक स्थिति पर भी निर्भर करता है. 18 महीने से कम में दो बच्चों को संभालना अक्सर पेरेंट्स के लिए एक चुनौती भरा काम होता है. हालांकि, समय बचाने के लिए कुछ लोग बच्चों की परवरिश में होने वाली तकलीफ एक साथ ही उठाना पसंद करते हैं. वहीं, कुछ लोग एक बच्चे की देखभाल में होने वाले दबाव और तनाव से पूरी तरह निकलने के बाद ही दूसरे बच्चे के बारे में सोचना पसंद करते हैं.
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हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार, पहला बच्चा 6 साल या इससे ज्यादा का होने के बाद दूसरी प्रेग्नेंसी प्लान करने में दोनों बच्चों के बीच का कनेक्शन वैसा नहीं पाया जाता है जैसा कि एक ही उम्र के आसपास के भाई-बहन में होता है. कुछ एक्सपर्ट्स दो बच्चों के बीच तीन साल का अंतर रखना आदर्श मानते हैं. इस अंतर पर पहला बच्चा कई काम खुद से करने लगता है और पेरेंट्स दूसरे बच्चे पर आसानी से ध्यान दे पाते हैं.
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पहला बच्चा होने के करीब एक साल बाद ही लोग दूसरे बच्चे के बारे में पूछना शुरू कर देते हैं. एक्सपर्ट्स का कहना है कि फैमिली प्लानिंग करते समय पेरेंट्स को किसी भी तरह के सामाजिक दबाव में नहीं आना चाहिए. पेरेंट्स को अपनी मानसिक, आर्थिक और शारारिक स्थिति को देखते हुए ही अगली प्रेग्नेंसी प्लान करनी चाहिए.
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