आज दुनिया भर में विश्व महिला दिवस मनाया जा रहा है. महिलाओं से जुड़े कई ऐसे मुद्दे हैं जिन्हें लंबे समय से खुद महिलाएं भी नजरअंदाज करती आ रही हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, महिलाओं के सबसे ज्यादा मुद्दे उनकी सेहत से जुड़े हुए हैं और महिलाओं को इनके प्रति जागरुक होने की जरूरत है. आइए जानते हैं कि महिलाओं को सेहत से जुड़ीं किन चीजों को गंभीरता से लेना चाहिए.
(प्रतीकात्मक तस्वीर)
कैंसर- महिलाओं में होने वाले सबसे आम दो कैंसर ब्रेस्ट और सर्वाइकल कैंसर हैं. शुरूआत में ही इनका पता चल जाने से इनसे बचाव करना आसान हो जाता है. WHO के ताजा आंकड़ों के मुताबिक हर साल लगभग लाखों महिलाएं सर्वाइकल और ब्रेस्ट कैंसर से मरती हैं. खासतौर से निम्न और मध्यम आय वाले देशों में इसकी संख्या ज्यादा है. इन जगहों पर ज्यादातर महिलाएं इसकी जांच और इलाज को लेकर जागरुक नहीं हैं.
रिप्रोडक्टिव हेल्थ- आंकड़ों के मुताबिक, 15 से 44 साल के बीच की एक तिहाई महिलाएं रिप्रोडक्टिव हेल्थ यानी यौन सेहत से जुड़ीं समस्याओं सें परेशान रहती हैं. इसके लिए मुख्य रूप से असुरक्षित यौन संबंध जिम्मेदार होता है. विकासशील देशों में ये आंकड़ा ज्यादा है. इसलिए हर महिला तक गर्भनिरोधक सेवाएं पहुंचाने की जरूरत है.
(प्रतीकात्मक तस्वीर)
मैटरनल हेल्थ- पिछले कुछ सालों में प्रेग्नेंसी और मैटरनल हेल्थ को लेकर लोगों की जागरुकता बढ़ी है. हालांकि अभी भी कई ऐसी जगहें हैं जहां इनकी कमी है और इसकी वजह से अभी भी कई मौतें होती हैं. फैमिली प्लानिंग और बुनियादी सेवाएं उपलब्ध कराकर इन्हें रोका जा सकता है.
(प्रतीकात्मक तस्वीर)
एड्स- तीन दशक से महिलाएं एचआईवी इंफेक्शन का शिकार होती चली आ रही हैं. आज भी कई महिलाएं HIV के सेक्सुअल ट्रांसमिशन से खुद को बचाने की कोशिश करती हैं. इसकी वजह से महिलाएं ट्यूबरक्लोसिस की चपेट में आ जाती हैं. कम आय वाले देशों में 20–59 साल की महिलाओं में सबसे ज्यादा मौत इसी की वजह से होती है.
(प्रतीकात्मक तस्वीर)
सेक्सुअली ट्रांसमिटेड इंफेक्शन- HIV के अलावा गोनोरिया, क्लैमाइडिया और सिफलिस जैसी यौन संचारित बीमारियों के प्रति महिलाओं को जागरुक करने और इनके रोकथाम की जरूरत है. सिफलिस जैसी बीमारी का इलाज ना होने पर आज भी हर साल 200,000 बच्चे पैदा होने से पहले कोख में ही मर जाते हैं.
(प्रतीकात्मक तस्वीर)
मानसिक सेहत- बीमारियों के अलावा, महिलाओं के खिलाफ हिंसा उनकी मानसिक सेहत पर बहुत बुरा असर डाल रही है. आज भी महिलाएं शारीरिक और यौन हिंसा का शिकार होती है. शारीरिक और मानसिक रूप से इसका असर उन पर लंबे समय तक रहता है. आज के समय में महिलाओं को जागरुक होने और इसके खिलाफ आवाज उठाने की जरूरत है.
(प्रतीकात्मक तस्वीर)
डिप्रेशन- आंकड़े बताते हैं कि पुरुषों की तुलना में महिलाएं चिंता, डिप्रेशन और कुछ खास शारीरिक दिक्कतों की ज्यादा शिकार होती हैं. डिप्रेशन एक सबसे आम मानसिक समस्या है. 60 से कम उम्र की कई महिलाएं डिप्रेशन के चलते खुदकुशी जैसे कदम भी उठा लेती हैं. महिलाओं को शारीरिक के साथ-साथ मानसिक सेहत से जुड़े मुद्दों के प्रति भी जागरुक करने की जरूरत है.
(प्रतीकात्मक तस्वीर)
गैर-संक्रामक बीमारियां- 2012 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, करीब 40 लाख महिलाओं की मौत 70 साल तक पहुंचने से पहले गैर-संक्रामक बीमारियों से हो गई थी. इनमें कम और मध्यम-आय वाले देशों की संख्या ज्यादा थी. ये मौतें रोड एक्सीडेंट, तंबाकू खाने, ज्यादा शराब और ड्रग्स के सेवन और बहुत ज्यादा मोटापे की वजह से हुई थीं. महिलाओं को सेहदमंद रहने के लिए हेल्दी लाइफस्टाइल पर ध्यान देने की जरूरत है.