छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले में गंगरेल जलाशय के पास कुदरत की खूबसूरती और वन संपदाओं से हरा-भरा गांव कोटार्भी है. धमतरी में जब लोगों से शौचालय बनाने की अपील की गई तो गांव की 104 वर्षीया कुंवर बाई यादव सबसे पहले इस काम में अपना सहयोग देने के लिए आगे आईं. यह उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति का ही कमाल है जो आज इस गांव का कायाकल्प हो गया है.
बकरियां चराकर जीवन-यापन करने वाली कुंवर बाई ने बकरियां बेचकर 22 हजार रुपये में गांव में सबसे पहले शौचालय बनवाया. यही नहीं, उन्होंने बाकायदा घर-घर जाकर लोगों को शौचालय बनाने के लिए प्रेरित किया और गांववालों को इसके फायदे समझाने में कामयाब भी हुईं. इस गांव के लोग अब खुले में शौच नहीं जाते हैं.
कोटार्भी में लगभग साढ़े चार सौ लोगों की जनसंख्या है. गांव को खुले में शौच मुक्त बनाने और बेमिसाल नेतृत्व क्षमता का परिचय देने वाली 104 वर्षीया कुंवर बाई की कहानी प्रेरक है. बकरियां चराकर जीवन-यापन करने वाला बूढ़ा शरीर भले ही जवाब दे रहा हो लेकिन उनकी जिंदादिली व जुझारुपन हर किसी के लिए एक उदाहरण है. आखिर उन्हीं की बदौलत कोटार्भी के लोग 15 जुलाई को अपने गांव को खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) घोषित कर चुके हैं.
इनपुट: IANS