उसे जब भी भूख लगती वो नल का पानी पी ले और रात के समय जब ठंड लगती तो वहीं पड़े मैट्स पर रात काट लेता. जब वो मिला तो उसकी आंखों में न तो आंसू थे और न ही डर. वो किसी नॉर्मल बच्चे की तरह ही नजर आ रहा था, हां लेकिन वो भूखा था.
हम बात कर रहे हैं यामाटो टानूका की. जिसकी शैतानियों से तंग आकर उसके मां-बाप ने उसे जंगल में छोड़ दिया था. मां-बाप ने शुरू में तो कहा था कि उनका बेटा कहीं गुम गया है लेकिन बाद में उन्होंने अपनी गलती मान ली.
यामाटो को उसके माता-पिता ने सजा देने के लिए जंगल में छोड़ दिया था. यामाटो आने-जाने वाली गाड़ियों और लोगों को पत्थर मारा करता था, जिससे दुखी होकर उनके मां-बाप ने उन्हें जंगल में छोड़ दिया था.
यामाटो, सेना के ट्रेनिंग बेस के पास मिला. उसके माता-पिता ने जहां उसे छोड़ा था, ये जगह वहां से कुछ किलोमीटर की दूरी पर थी.
पूरी तरह है सुरक्षित
जिस वक्त यामाटो सैन्य अधिकारियों की नजर में आया, उस वक्त वो बिल्कुल नॉर्मल था. उसने अधिकारियों से कुछ खाने के लिए मांगा. अधिकारियों ने उसे खाने का सामान दिया और उसे तुरंत नजदीकी अस्पताल ले गए. जहां डॉक्टरों ने जांच के बाद बताया कि बच्चा पूरी तरह ठीक है. उसे डी-हाइड्रेशन की शिकायत हो गई थी और हाथ-पैर में कुछ जगहों पर खरोंचे आ गई थीं.
पर सबसे चौंकाने वाली बात ये रही कि बच्चा बिल्कुल भी घबराया हुआ नहीं था. वो बहुत शांत था. जबकि छह दिन तक अकेले जंगल में रहना कोई मामूली बात नहीं.
बच्चे के लौट आने से पूरा जापान खुश है. यामाटो हीरो बन चुका है. लोग उसके मनोबल, धीरज और समझदारी की मिसालें दे रहे हैं.
मां-बाप को भुगतनी पड़ सकती है सजा
बच्चे को सबक सिखाने का ऐसा कोई मामला पहली बार सामने आया है. पुलिस की मानें तो यामाटो के माता-पिता को लापरवाही के आरोपों का सामना करना पड़ सकता है और इसके लिए उन्हें सजा भी हो सकती है.