चिलचिलाती धूप के नीचे खड़े हो कर छोले कुल्चे बेचना किसी औरत का शौकिया काम तो नहीं हो सकता. कोई भी औरत किसी मजबूरी में ही यह काम करेगी. कुछ यही कहानी है नर्सरी स्कूल टीचर उर्वशी यादव की.
उर्वशी के पति का इस साल एक्सीडेंट हो गया था जिसके बाद उनकी हिप सर्जरी करनी पड़ी. तब उर्वशी ने सोचा कि घर चलाने के लिए उन्हें ही कुछ करना चाहिए. उर्वशी को खाना बनाना अच्छा लगता था और वो खाना अच्छा बना भी लेती थीं. उनका यही हुनर उनके काम आया. अपनी इसी प्रतिभा को उन्होंने अपना हथियार बनाया. उर्वशी के पास रेस्त्रां खोलने के पैसे नहीं थे. इसलिए उन्होंने सड़क पर ठेला लगाकर छोले कुल्चे बेचेने का फैसला किया.
हालांकि उर्वशी के इस फैसले से उनके ससुराल वाले और बच्चे खुश नहीं थे लेकिन उर्वशी ने इन बातों पर ध्यान नहीं दिया और अपने फैसले पर कायम रहीं. अपने संघर्ष की कहानी बताते हुए उर्वशी कहती हैं, 'शरुआत में मुझे शर्मिंदगी महसूस होती थी. पहला दिन मेरे लिए बहुत कठिन था और मैं काफी असहज भी महसूस कर रही थी. मैंने अपने चेहरे को छुपा रखा था. एक वक्त ऐसा भी आया जब मैं रोने लगी थी लेकिन बाद में मैंने इन सब चीजों का सामना करना सीख लिया.'
वो बताती हैं कि एक वक्त ऐसा भी था जब वो एसी के बिना नहीं रह सकती थीं लेकिन अब दिनभर धूप में खड़ी रहती हैं. एक फेसबुक पोस्ट ने उनके ठेले को फेमस कर दिया था और तब से उन्हें ग्राहकों की कोई कमी नहीं हुई. वह फेसबुक पोस्ट 8,870 शेयर्स और 26,170 लाइक्स के साथ वायरल हो गया था. आप भी उर्वशी के छोले कुल्चे का मजा गुडगांव के सेक्टर 14 मार्केट में सुबह 8 से शाम 4 तक जाकर उठा सकते हैं.