आलिया भट्ट ने अपनी शादी के तीसरे महीने में अपनी प्रेग्नेंसी अनाउंस कर दी है. ये खुशखबरी उन्होंने एक सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए दी है. इंस्टाग्राम पर शेयर एक तस्वीर में आलिया अस्पताल के बेड पर लेटी अपने बच्चे की अल्ट्रासाउंड तस्वीर देख खिलखिला रही हैं. रणबीर कपूर भी उनके पास बैठे दिख रहे हैं. कपल की ये प्यारी तस्वीर सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बनी हुई है. आलिया भट्ट की उम्र 29 साल है और करियर के लिहाज से भी वह ऊंचाइयों को छू रही हैं. हेल्थ एक्सपर्ट्स का भी यही कहना है कि महिलाओं को 30 साल की उम्र से पहले फैमिली प्लानिंग कर लेनी चाहिए. आइए जानते हैं शादी के वक्त आपकी उम्र और फैमिली प्लानिंग का क्या कनेक्शन है.
अगर आपकी शादी 20 साल से पहले हुई है-
विशेषज्ञों का मानना है कि किसी भी महिला को 20 साल से पहले मां नहीं बनना चाहिए. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, विश्व भर में 15-19 साल की महिलाओं में मौत का दूसरा सबसे बड़ा कारण प्रेग्नेंसी और बच्चे का जन्म है. अगर कोई महिला 20 साल से छोटी है तो जन्म के बाद या जन्म के दौरान उसके शिशु के मरने की संभावना भी बहुत बढ़ जाती है.
करियर और पढ़ाई के लिहाज से भी देखें तो, इतनी कम उम्र में बच्चा पैदा करना कोई समझदारी नहीं है. कानून के हिसाब से भी देखें तो, महिलाओं और पुरुषों को 21 साल से पहले शादी की इजाजत नहीं है.
अगर आपकी शादी 20-25 साल की उम्र में हुई है-
अगर आपकी शादी 20 साल के बाद हुई है तो ये प्रेग्नेंट होने का सबसे बेहतर समय माना जाता है. इन सालों में महिला के एग्स काफी अच्छे होते हैं और पुरुष के स्पर्म भी प्रेग्नेंसी के लिए सबसे बेहतर अवस्था में होते हैं. लेकिन इस उम्र में भी आप प्रेग्नेंसी तभी प्लान करें जब आप अपने बच्चे को हर तरह से एक बेहतर भविष्य देने के लिए तैयार हों.
अगर आपकी शादी 25-30 साल की उम्र के बीच हुई हो-
अगर आपने 25 साल की उम्र के बाद और 30 से पहले शादी की है, तो बच्चे में बिल्कुल देरी नहीं करनी चाहिए. कई कपल्स ये मानते हैं कि बच्चा पैदा करने की ये सबसे सही उम्र है क्योंकि इस उम्र तक वो खुद को फाइनेंशियली सिक्योर कर चुके होते हैं. वो मेंटली और फिजीकली भी बच्चे के लिए तैयार होते हैं.
हालांकि, स्वास्थ्य के लिहाज से देखें तो, इस उम्र में महिलाओं की प्रजनन क्षमता में गिरावट आती है और उनके प्रेग्नेंट होने की संभावना एक साल के भीतर ही एक चौथाई कम हो जाती है. पुरुषों के स्पर्म क्वालिटी पर भी असर पड़ता है. अगर कोई पुरुष नियमित रूप से शराब पीता है और स्मोकिंग करता है तो उसके स्पर्म की क्वालिटी और गिर जाती है. इसलिए अगर आप शादीशुदा हैं और आपकी उम्र 25-30 साल के भीतर है तो आपको बच्चे में देरी नहीं करनी चाहिए.
अगर आपकी शादी 30-35 साल के बीच हुई है-
30 के बाद शादी होने पर प्रेग्नेंसी में दिक्कतें आ सकती हैं इसलिए बच्चे की चाह रखने वाले कपल्स को शादी के तुरंत बाद बच्चे कर लेने चाहिए. 30 के बाद महिलाओं में प्रेग्नेंसी की संभावना कम होती जाती है. बच्चा करने से पहले दोनों पति-पत्नी के संपूर्ण स्वास्थ्य की जांच जरूरी है.
इस उम्र में पुरुषों के स्पर्म का काउंट और उसकी क्वालिटी भी प्रभावित होती है जिससे बच्चे में कई तरह की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. कई अध्ययनों में यह देखा गया है कि इस उम्र में अगर आप प्रेग्नेंट होते हैं तो आपके बच्चे में ऑटिज्म (दिमाग का कम विकसित होना) जैसी बीमारी का खतरा होता है.
अगर आपकी शादी 35-40 साल के बीच हुई है
इस उम्र में शादी करने पर बच्चे से पहले महिला-पुरुष को अपने संपूर्ण स्वास्थ्य की जांच करानी चाहिए और ये सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि वो एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दे सकते हैं या नहीं. इस उम्र में बच्चे पैदा करने पर बच्चे में डाउन सिंड्रोम और ऑटिज्म का खतरा कई गुना बढ़ जाता है. महिला को भी मिसकैरिज की संभावना बढ़ जाती है.
अगर आपकी शादी 40-45 साल के बीच हुई है-
इस उम्र में शादी के बाद बच्चा पैदा करना बेहद मुश्किल भरा हो सकता है क्योंकि मां और बच्चे को होने वाली दिक्कतें कई गुना बढ़ जाती हैं. अध्ययन बताते हैं कि हर 19 में से एक महिला के बच्चे में इस उम्र वर्ग में क्रोमोसोम संबंधी विकार होते हैं.
इस उम्र में महिला की नॉर्मल डिलीवरी होनी काफी मुश्किल होती है. पैदा होने के बाद बच्चे में ऑटिज्म का खतरा तो होता है ही, साथ ही उसका शारीरिक और मानसिक विकास भी ठीक ढंग से नहीं होता.
अगर आपकी शादी 45 साल के बाद हुई है-
अगर आप 45 साल के बाद शादी करते हैं और आपको बच्चे की चाहत है तो ये बेहद मुश्किल होने वाला है क्योंकि इस उम्र में प्रेग्नेंसी की संभावना बस एक प्रतिशत ही रह जाती है. महिला अगर प्रेग्नेंट हो भी जाती है तो उसे हाइपरटेंशन, प्रेग्नेंसी के दौरान होने वाली डाइबिटीज का सामना करना पड़ता है.
इस उम्र में पुरुषों का स्पर्म भी काफी कमजोर हो जाता है, तो बच्चे में मानसिक और शारीरिक विकार की संभावना 13 गुना बढ़ जाती है. अगर महिला के गर्भ के अंदर कोई लड़की है तो उसे ऑटिज्म के साथ-साथ ब्रेस्ट कैंसर और बौनेपन जैसी बीमारियां हो सकती हैं.