बॉम्बे हाई कोर्ट ने मंगलवार को महाराष्ट्र सरकार से सैनिटरी नैपकिन की कीमतें घटाने और इसके इस्तेमाल के बारे में जागरुकता बढ़ाने का निर्देश दिया है. बॉम्बे हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से सैनिटरी नैपकिन्स पर रियायत देने के लिए कहा है.
जस्टिस एन एच पाटिल और एन डब्ल्यू सांब्रे की डिवीजन बेंच ने कहा, यह एक बहुत महत्वूपूर्ण मुद्दा है जिससे करीब आधी आबादी प्रभावित होती है.
कोर्ट ने यह बात एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान कही. एनजीओ शेट्टी वुमेन वेलफेयर फाउंडेशन ने ज्यादा कीमतों और जागरुकता की वजह से 80 प्रतिशत महिलाओं तक सैनिटरी नैपकिन ना पहुंचने की बात कहते हुए यह जनहित याचिका दायर की थी. इस जनहित याचिका में सैनिटरी नैपकिन्स पर लगाए गए 12 प्रतिशत जीएसटी को भी चुनौती दी गई है.
जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि सरकार तय करे कि उसे सैनिटरी नैपकिन के इस्तेमाल और उनकी उपलब्धता बढ़ाने के लिए क्या कदम उठाने हैं.
डिवीजन बेंच ने कहा, यह बहुत ही अहम मुद्दा है और आधी आबादी को प्रभावित करता है. जस्टिस पाटिल ने महाराष्ट्र सरकार से सवाल किया कि राज्य सरकार ने सैनिटरी नैपकिन के इस्तेमाल के बारे में जागरुकता बढ़ाने के लिए क्या किया है? जस्टिस पाटिल ने आगे कहा कि सरकार का पहला कदम जागरुकता बढ़ाना और दूसरा कदम सैनिटरी नैपकिन को सब्सिडी वाली कीमतों पर उपलब्ध कराना होना चाहिए.
बेंच ने साथ ही सुझाव दिया कि राज्य सरकार को ग्राम पंचायतों को ऐसी गाइडलाइन जारी करनी चाहिए जिससे कि पंचायतों की महिला सदस्य लड़कियों के बीच इस बारे में जागरुकता फैला सकें.
कोर्ट ने संबंधित विभागों के प्रधान सचिव और सचिव को भी इस मुद्दे पर चर्चा करने के निर्देश दिए. कोर्ट ने कहा कि अगर एडिशनल सॉलिसिटर जनरल सैनिटरी नैपकिन पर जीएसटी के मामले पर कोर्ट की मदद करें तो बेहतर होगा.
कोर्ट ने राज्य सरकार को दो सप्ताह के भीतर विस्तृत जवाब देने के लिए कहा है. सैनिटरी नैपकिन पर 12 प्रतिशत जीएसटी लगाए जाने के बाद से ही कई महिला संगठनों और एनजीओ ने सरकार के सामने अपनी मांगे रखी थीं लेकिन कई वादे किए जाने के बावजूद कुछ ठोस नहीं किया गया.