बच्चे का जन्म यदि आधुनिक चिकित्सा पद्धति यानी सी-सेक्शन के स्थान पर सामान्य तरीके से हो तो, वह ज्यादा स्वस्थ होता है. 'बर्थ डिफेक्ट्स रिसर्च' नाम की पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन में यह बात कही गई है.
अध्ययन के मुताबिक, गर्भावस्था और प्रसव के दौरान माइक्रोबायोम वातावारण में गड़बड़ी, विकसित होते बच्चे के शुरुआती माइक्रोबायोम को प्रभावित कर सकती हैं. जिसके कारण बच्चे को भविष्य में स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है.
अध्ययन में बताया गया कि 'सी-सेक्शन' प्रसव जैसी आधुनिक चिकित्सा पद्धतियां इन माइक्रोबायोम को प्रभावित करती हैं और बच्चों की प्रतिरक्षा, मेटाबॉलिज्म और तंत्रिका संबंधी प्रणालियों के विकास पर नकारात्मक असर डालती हैं.
अमेरिका के ओहियो में 'केस वेस्टर्न रिजर्व यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन' के सहायक प्रोफेसर शेरोन मेरोपोल के मुताबिक, शिशु के स्वास्थ्य के लिए केवल शिशु की ही नहीं, बल्कि मां के मोइक्रोबायोम की भी महत्वपूर्ण भूमिका होती है.
मेरोपोल के मुताबिक, माइक्रोबायोटा में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी के कारण एलर्जी, दमा, मोटापा, और ऑटिजम जैसे तंत्रिका विकास संबंधी कई बीमारियां बच्चों को हो सकती हैं.
हाल में ही किए गए अध्ययन साबित करते हैं कि सामान्य प्रसव, जन्म के तत्काल बाद मां की त्वचा का शिशु की त्वचा से संपर्क और स्तनपान जैसी पारंपरिक क्रियाएं बच्चे में माइक्रोबायोम के विकास को बढ़ाने और बच्चे के स्वास्थ्य विकास में सकारात्मक प्रभाव डालने में मदद कर सकती हैं.