गर्भावस्था के दौरान और जन्म लेने के बाद एक वर्ष तक पारिवारिक वातावरण बच्चे के भावनात्मक विकास में अहम भूमिका निभाता है. एक नए शोध में यह बात कही गई है. शोध में बच्चों के भावनात्मक विकास पर मां और बच्चे के बीच शुरुआती रिश्ते के साथ परिवार प्रणाली के महत्व को समझाने की कोशिश की गई है.
फिनलैंड के टैंपेयर विश्वविद्यालय के जालू लिंडब्लॉम के अनुसार, ऐसी संभावना है कि बच्चे अपने पारिवारिक माहौल के अनुकूल खुद को ढालने के लिए अपनी भावनात्मक रणनीति विकसित करते हैं. बच्चे द्वारा खुद को इस तरह ढालने की प्रक्रिया से बाद में मानसिक विकार और सामाजिक संबंध बनाने में होने वाली कठिनाइयों को समझा जा सकता है.
इस शोध के लिए अलग-अलग पारिवारिक वातावरण वाले 10 वर्ष की आयु के 79 बच्चों पर अध्ययन किया गया. शोध के दौरान बच्चों को प्रसन्न और दुखी चेहरों वाली तस्वीरें दिखाई गईं.
निष्कर्ष से पता चलता है कि माता-पिता किसी समस्या या उलझन का जिस संजीदगी से समाधान करते हैं उनकी संतान भी उसी अनुसार समस्याओं को सुलझाती है.
लिंडब्लॉम का मानना है कि यह अध्ययन अटैचमेंट थ्योरी के उन पहलुओं को और विस्तार देता है जिसमें मां-बच्चे के संबंध पर जोर दिया गया है. किसी परिवार को एक पूर्ण इकाई के रूप में देखना चाहिए, जिसमें माता-पिता का वैवाहिक संबंध और जन्म के बाद शुरुआती दिनों में पिता का प्यार भी शामिल होता है. यह कुछ चीजें ऐसी हैं जो संतान के स्वास्थ्य और जन्म से पहले के चरणों के लिए महत्वपूर्ण हैं.