गर्भवती महिलाओं को कुछ समय के लिए शराब को अलविदा कह देना चाहिए. ऐसा इसलिए क्योंकि शराब पीने से गर्भस्थ शिशु के दिमाग पर बुरा असर पड़ता है. बच्चे के जन्म के बाद भी बचपन और किशोरावस्था में बच्चे के मस्तिष्क का विकास बाधित होता है.
ऐसे बच्चे फीटल एल्कोहल स्पेक्ट्रम डिसॉर्डर (एफएएसडी) के शिकार होते हैं. इन बच्चों में दिमागी कमजोरी देखी गई है. शोधकर्ताओं ने एफएएसडी के शिकार बच्चों और सामान्य बच्चों के अलग-अलग समूहों को एक साथ कुछ खास कामों में शामिल किया. सेबान रिसर्च इंस्टीट्यूट की एलीजाबेथ सोवेल ने कहा कि शोध में हमने पाया कि दोनों समूहों के बच्चों की दिमागी सक्रियता में खासा अंतर है'.
अमेरिका के द सेबन रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ चिल्ड्रेन हॉस्पिटल लॉस एंजेलिस की शोधकर्ता प्राप्ति गौतम ने कहा, 'एफएएसडी के शिकार बच्चों में मानसिक कसरत के दौरान फंक्शनल मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिन (एफएमआरआई) की सहायता से दिमाग की गतिविधियों पर नजर रखी गई. लेकिन इस तकनीक की सहायता से दिमाग की गतिविधियों की निगरानी इससे पहले नहीं की गई है.'
यह शोध जर्नल सेरेब्रल कॉर्टेक्स में प्रकाशित होगा.