अब से कुछ साल पहले तक मां-बाप छोटे बच्चों काे सूती कपड़े के घर पर बने नैपी पैड पहनाया करते थे. हालांकि इनको बार-बार बदलना पड़ता था लेकिन इससे एक बात की तसल्ली तो होती थी कि बच्चे को कोई इंफेक्शन नहीं होगा.
भले ही आज के समय में मां-बाप बच्चों को डायपर पहनाकर अपनी इस परेशानी को कुछ कम कर लेते हों लेकिन शायद उन्हें ये एहसास ही नहीं होता है कि इससे बच्चे को कितनी तकलीफ होती है. खासकर नवजात बच्चों को.
बहुत लंबे समय तक डायपर के इस्तेमाल से बच्चों को यूरिनल इंफेक्शन होने की आशंका बनी रहती है. संक्रमण के चलते बच्चों में चिड़चिड़ापन आ जाता है. चिड़चिड़ेपन की वजह से ऐसे बच्चों के आगे चलकर आक्रामक होने की आशंका बढ़ जाती है.
छोटे बच्चों की त्वचा बड़ों की तुलना में कहीं अधिक संवेदनशील होती है. ऐसे में डायपर को लगाने से उनके संक्रमित होने के चांसेज बहुत अधिक होते हैं. नैपी पैड में कई तरह के रसायनों का इस्तेमाल किया जाता है. साथ ही इसमें प्लास्टिक की एक तह भी होती है जो गीलापन तो महसूस नहीं होने देती लेकिन हवा पास न होने देने की वजह से संक्रमण का कारण बन सकती है.
बावजूद इसके कई मौके और परिस्थितियां ऐसी बन जाती हैं कि नैपी पैड का इस्तेमाल करना ही पड़ता है. ऐसे में आप इन सावधानियों को अपनाकर बच्चे को ज्यादा सुरक्षा दे सकते हैं.
1. नवजात बच्चों को भूलकर भी डायपर न पहनाएं. उनमें संक्रमण होने का अंदेशा सबसे अधिक होता है.
2. डायपर को समय-समय पर चेक करते रहें. 3 से 4 घंटे से ज्यादा वक्त के लिए डायपर न पहनाएं.
3. नैपी चेंज करने के बाद बच्चे की त्वचा को अच्छी तरह साफ कर लें. त्वचा को किसी माइल्ड एंटी-सेप्टिक से पोंछने के बाद सुखाकर ही कोई दूसरा कपड़ा पहनाएं.