सभी पेरेंट्स यह चाहते हैं कि उनके बच्चों की अच्छी परवरिश हो. बच्चों की अच्छी परवरिश का मतलब सिर्फ उनकी खाने-पीने, पहनने-ओढ़ने और रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करना ही नहीं होता बल्कि बच्चों में अच्छी आदतें, अनुशासन और नियमों का पालन करने की आदत का विकास करना पेरेंट्स की जिम्मेदारी होती है.
बच्चा जब बड़ा होने लगता है तभी से उसे नियम में रहने की आदत डालनी चाहिए. बच्चों के लिए यह नहीं सोचना चाहिए कि अभी छोटा है बाद में सीख जाएगा. कुछ पेरेंट्स बच्चों को छोटी-छोटी बातों पर डांटने लगते हैं, कुछ माता-पिता उन्हें मारते भी हैं लेकिन यह तरीका गलत है. इस तरह का व्यवहार करने से बच्चे पर बुरा असर पड़ता है. जब भी बच्चा कोई गलती करे तो उसे उसकी गलती का एहसास करवाना चाहिए और उसे दोबारा ऐसा न करने की ताकीद करनी चाहिेए.
कुछ पेरेंट्स मानते हैं कि बच्चों को प्यार करने का मतलब उनकी हर मांग को पूरा करना होता है. जो पेरेंट्स बच्चों की हर मांग को पूरा करते हैं उनके बच्चे जिद्दी हो जाते हैं. जिद करने पर बच्चों को वही चीज दिलाएं जो जरूरी है. जब बच्चे ऐसी जिद करते हैं जिन्हें पूरा नहीं किया जा सकता तो उन्हें प्यार से समझाना चाहिए. कई बार ऐसा होता है कि पेरेंट्स अपने बच्चों की बात नहीं सुनते उन्हें डांटकर चुप कर देते हैं. ऐसा करने से बच्चों पर गलत असर पड़ता है. बच्चें की बात पर ध्यान देना चाहिए और चिल्लाने की बजाय उसकी बात सुननी चाहिए.
बच्चे को जो पढ़ाई करने और जो बनने में रुचि हो उसे वही बनने दें. जब पेरेंट्स अपने बच्चों पर जबरदस्ती अपनी मर्जी चलाते हैं तो बच्चे पर उसका बुरा असर होता है. आज के वक्त में बच्चे अपनी मन मर्जी के मुताबिक काम करना पसंद करते हैं. पेरेंट्स को अपने बच्चों के साथ दोस्त की तरह रहना चाहिए. बच्चों के साथ मित्र जैसा व्यवहार करने से बच्चे अपने पेरेंट्स से कुछ नहीं छुपाते.