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महिला-पुरुष का फर्क आधा भी हो जाए तो यूं बढ़ जाएगी भारत की इकोनॉमी

इवांका ट्रंप ने कहा कि अगर महिला और पुरुष उद्मियों की संख्या बराबर हो जाए तो वैश्विक जीडीपी 2 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ सकती है. आइए जानते हैं भारत में वर्कफोर्स में महिलाओं की हिस्सेदारी क्या है और कैसे महिलाओं की भागेदारी देश की अर्थव्यवस्था को ऊपर उठा सकती है.

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कामकाजी महिलाएं
कामकाजी महिलाएं

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की बेटी व्हाइट हाउस में सलाहकार इवांका ट्रंप ने मंगलवार को भारत की उपलब्धियों की तारीफ करते हुए देश में कामकाज में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाए जाने की जरूरत बताई. उन्होंने कहा कि भारत में कामकाजी जैंडर गैप आधा हो जाए तो यहां की अर्थव्यवस्था 3 साल में 150 अरब डॉलर (करीब 9.75 लाख करोड़ रु) से ज्यादा बढ़ सकती है. इवांका ट्रंप ने कहा कि अगर महिला और पुरुष उद्मियों की संख्या बराबर हो जाए तो वैश्विक जीडीपी 2 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ सकती है. आइए जानते हैं भारत में वर्कफोर्स में महिलाओं की हिस्सेदारी क्या है और कैसे महिलाओं की भागेदारी देश की अर्थव्यवस्था को ऊपर उठा सकती है.

वर्कप्लेस में लैंगिक समानता होने पर भारत की अर्थव्यवस्था का आकार चौगुना हो सकता है. भारत की करेंट जीडीपी 2.06 ट्रिलियन डॉलर है. अगर सब कुछ सामान्य रहा तो 2025 तक भारत की अनुमानित जीडीपी 4.80 ट्रिलियन की होगी. अगर लैंगिक भेदभाव खत्म कर लिया जाए तो भारत की अर्थव्यवस्था 7.70 ट्रिलियन डॉलर की हो जाएगी. 10 साल में महिलाएं भारत की जीडीपी में 290 ट्रिलियन डॉलर का योगदान दे सकती हैं जो अनुमानित जीडीपी से 60 फीसदी ज्यादा होगा.

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सभी क्षेत्रों में भारत की जीडीपी में महिलाओं की भागेदारी सबसे कम है. भारत में जीडीपी में महिलाओं का योगदान 17 फीसदी, चीन में 41 फीसदी, उप सहारा अफ्रीका क्षेत्र में 39 फीसदी, लैटिन अमेरिका में 33 फीसदी है जबकि वैश्विक औसत देखा जाए तो यह करीब 37 फीसदी है.

करेंट फीमेल वर्कफोर्स भागेदारी 31 फीसदी है जबकि 2025 तक अर्थव्यवस्था में 700 बिलियन डॉलर जोड़ने के लिए यह भागेदारी 41 फीसदी तक बढ़ानी होगी. इसका मतलब कामकाजी महिलाओं की संख्या 68 मिलियन बढ़ानी होगी. फिलहाल यह संख्या 37,5.9 मिलियन है.

भारत में अगर राज्यवार स्थिति पर नजर डालें तो सबसे खराब स्थिति बिहार की है जहां वर्कफोर्स में महिलाओं की भागेदारी बहुत ही कम है. बिहार में वर्कफोर्स में महिलाओं की हिस्सेदारी का प्रतिशत दुनिया भर में सबसे कम है. बिहार में वर्कफोर्स में महिलाओं की भागेदारी 7 फीसदी है.

आने वाले समय में महिलाओं की नई वर्कफोर्स का 70 फीसदी 8 राज्यों से आने की उम्मीद है. उत्तर प्रदेश में वर्तमान प्रतिशत 56.2 फीसदी, संभावित बढ़ोत्तरी 12.1, पश्चिम बंगाल में वर्तमान में 30.3 औऱ संभआवित वृद्धि 7.4 फीसदी, आंध्र प्रदेश औऱ तेलंगाना- 30.7 और संभावित वृद्धि 5.3, गुजरात में वर्तमान में 19.1 संभावित वृद्धि 4.9 वहीं महाराष्ट्र में 37.5 और वृद्धि 4.7, मध्य प्रदेश 21.0 और संभावित वृद्धि- 4.5 तमिलनाडु वर्तमान 25.9 वृद्धि 4.3, कर्नाटक में वर्तमान 20.4 संभावित वृद्धि 4 जबकि शेष राज्यों से 134.8 फीसदी औऱ संभावित वृद्धि 20.8 होगी.

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महिला सशक्तीकरण के मामले में उत्तर-पूर्व राज्यों का प्रदर्शन बेहतर रहता है. फीमेल एम्पॉवरमेंट इंडेक्स (फेमडेक्स) में टॉप 5 राज्यों में मिजोरम, मेघालय, केरल, गोवा औऱ सिक्किम हैं. जबकि नीचे के 5 राज्यों में से बिहार, झारखंड, असम, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश हैं. उत्तर-पूर्व राज्य 'वर्कप्लेस जेंडर पैरिटी इंडेक्स' में भी आगे हैं. टॉप 5 राज्यों में मिजोरम, मेघालय, केरल, सिक्किम और गोवा शामिल हैं.

देश के लिए महिलाओं के पास 503 डॉलर अरब हैं. सरकार के मुताबिक, पहली तिमाही में देश की अर्थव्यवस्था 5.7 प्रतिशत की रफ्तार से बढ़ी है लेकिन यह 27% की रफ्तार से बढ़ सकती थी. भले ही यह 1-2 तिमाही में ना हो लेकिन अगले 3-4 साल में जरूर हो सकता है.

फिलहाल केवल 22 प्रतिशत ग्रैजुएट महिलाएं रोजगार में शामिल हैं औऱ केवल 29 प्रतिशत महिलाएं कामकाज में लगी हैं (15 साल से ज्यादा). जब बात वर्कफोर्स में महिलाओं के शामिल होने की बात आती है तो भारत 189 में से 134वें पायदान पर खड़ा है. अगर महिलाएं भी पुरुष की तादादा में काम करने लगें तो देश की जीडीपी में 27 प्रतिशत हिस्सेदारी जोड़ेंगी. इससे जीडीपी पहुंच जाएगी 2.4 डॉलर लाख करोड़ जो ब्रिटेन की मौजूदा जीडीपी 2.52 लाख करोड़ के करीब होगी.

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अमेरिका और ब्रिटेन में महिलाओं के काम न करने की वजह से जीडीपी को होने वाला नुकसान केवल 5 फीसदी है जबकि भारत में यह 27 फीसदी है.

भारत में जो महिलाएं काम करती हैं, वो शीर्ष तक नहीं पहुंच पाती हैं. केवल 5 प्रतिशत बोर्ड सीट महिलाओं के पास हैं जो ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) देशों में सबसे कम है.

जबकि यह साबित हो चुका है कि महिलाओं से प्रदर्शन में सुधार आता है. बोर्ड और कंपनी में महिलाएं ज्यादा होंगी तो यह फायदा होगा- निवेश पर पूंजी पर मिलने वाला रिटर्न 66 प्रतिशत इक्विटी पर मिलने वाल रिटर्न 53 प्रतिशत औऱ सेल्स पर मिलने वाला रिटर्न 42 प्रतिशत हो जाएगा.

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