भरतनाट्यम की मशहूर डांसर रुक्मिणी देवी अरुंडेल का जन्म 29 फरवरी 1904 में मदुरई की ब्राह्मण परिवार में हुआ था. वह भारतीय शास्त्रीय नृत्य के पुनरुत्थान करने के लिए जानी जाती हैं. भारतीय नृत्य कला को आगे बढ़ाने और नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने का श्रेय रुक्मिणी देवी को ही जाता है.
भरतनाट्यम की एक विधा, जिसे साधीर के नाम से भी जाना जाता है, को पहचान दिलाने का श्रेय ई. कृष्णा अय्यर और रुक्मिणी देवी को जाता है जिन्होंने इसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर की बुलंदियों पर पहुंचाया.
उन्हें भरतनाट्यम डांसर के तौर पर शोहरत मिली और राज्य सभा के लिए भी मनोनीत किया गया था.
माना जाता है कि 1977 में उन्हें मोरारजी देसाई ने राष्ट्रपति पद के लिए भी मनोनीत करने का विचार दिया था लेकिन उन्होंने इस पद के लिए बड़ी ही विनम्रता से मना कर दिया था. उन्हें भारतीय नृत्य कला में अपने योगदान के लिए 1956 में पद्म भूषण और 1967 में संगीत नाटक एकेडमी की फेलोशिप से नवाजा गया था.