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टेस्टोस्टेरोन अधिक तो महिलाओं में गर्भाशय के कैंसर का खतरा

गर्भाशय में होने वाले इस कैंसर के कारण अनियमित रक्तस्राव, बांझपन, बार-बार गर्भपात और प्रजनन संबंधी दूसरी समस्याएं पैदा हो जाती हैं.

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महिलाओं में गर्भाशय के कैंसर का खतरा
महिलाओं में गर्भाशय के कैंसर का खतरा

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हाल ही में सामने आए एक अध्ययन के अनुसार, 40-45 आयुवर्ग में टेस्टोस्टेरोन और एस्ट्रोजन हार्मोन का स्तर ज्यादा होने होने पर महिलाओं में गर्भाशय के कैंसर का खतरा बढ़ जाता है.

अमेरिका के स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक जेसन वाई. वाई. वांग का कहना है कि 50 वर्ष के आसपास की आयु की हर चार में से तीन महिलाओं के गर्भाशय में ट्यूमर का निर्माण होने लगता है.

गर्भाशय में होने वाले इस कैंसर के कारण अनियमित रक्तस्राव, बांझपन, बार-बार गर्भपात और प्रजनन संबंधी दूसरी समस्याएं पैदा हो जाती हैं.

'स्टडी ऑफ विमेंस हेल्थ अराउंड द नेशन' (स्वान) में भाग लेने वाली 3,240 महिलाओं पर वैज्ञानिकों ने 13 वर्षों तक अध्ययन करने के बाद ये बात कही है.

इस परीक्षण से पता चला है कि जिन महिलाओं में टेस्टेस्टेरोन की अधिक मात्रा होती है उनके गर्भाशय में ट्यूमर के बनने की आशंका, कम टेस्टोस्टेरोन स्तर वाली महिलाओं की तुलना में अधिक होती है.

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वांग के अनुसार, 'जो महिलाएं पीरियड्स के संक्रमण से गुजर रही हैं उनमें टेस्टोस्टेरोन और एस्ट्रोजेन हार्मोन का अधिक होना गर्भाशय के कैंसर के खतरे को बढ़ा देता है.'

इस शोध से साबित होता है कि टेस्टोस्टेरोन और एस्ट्रोजेन हार्मोन के उच्च स्तर वाली महिलाओं को गर्भाशय के कैंसर का अधिक खतरा होता है. यह शोध 'जर्नल ऑफ क्लीनिकल एंडोक्राइनोलॉजी एंड मेटाबॉलिज्म' पत्रिका में प्रकाशित हुआ है.

इनपुट: IANS

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