सेक्स एक ऐसा विषय है जिस पर ज्यादातर पैरेंट्स बच्चों से बात करने में झिझकते हैं. ज्यादातर बच्चों को एक उम्र तक यही पता होता है कि कोई परी बच्चों को उनके मम्मी-पापा के पास छोड़ कर जाती है. कभी-कभी बच्चे अचानक अपने माता-पिता से क्रश या सेक्स का मतलब पूछने लगते हैं और पैरेंट्स को उस समय से समझ नहीं आता कि उन्हें क्या जवाब दें या कैसे समझाएं. भारत में ये विषय ऐसा है जिस पर हम बच्चों से बात करने से बचते हैं लेकिन असल में इन पर खुलकर बात करना बहुत जरूरी हैं. एक्सपर्ट से जानते हैं कि किस उम्र में बच्चों से सेक्स के बारे में बात करनी चाहिए.
चार साल की उम्र में- जब बच्चा 4 साल का हो तब आपको उनके प्राइवेट पार्ट्स के बारे में बताना चाहिए. बच्चे कैसे पैदा होते हैं इसकी जानकारी उसे खेल-खेल में दे. जैसे बच्चे को बताएं कि उसकी मां के पेट में यूट्रस है जहां वो पैदा होने से पहले रहता था.
आठ साल की उम्र में- इस उम्र बच्चों को थोड़ी समझ होने लगती है. आप बता सकते हैं कि मम्मी-पापा ने आपको पैदा किया है. अगर वो फिर भी पूछता रहता है तो उसे बताएं कि उसके पापा के बॉडी में एक सेल पाया जाता है जिसे स्पर्म कहते हैं और मम्मी की बॉडी में एक छोटा सेल पाया जाता है जिसे एग्स कहते हैं. जब आप पैदा होने वाले थे तो आप यूट्रस से निकलकर बाहर आ गए. इस उम्र में बच्चे को इतना ही बताना काफी है.
10 साल से ज्यादा की उम्र में- इस उम्र में आप बच्चे से सेक्स के बारे में और ज्यादा खुलकर बात कर सकते हैं. खबरों में कुछ रेप के बारे में आता है तो उसके बारे में भी बताएं. बच्चों को सुनी-सुनाई बातों के बारे में जानने की बहुत उत्सुकता रहती है. बच्चों को बातों में इधर-उधर घुमाने की बजाय सही जानकारी दें.
ये भी पढ़ें: नवजात शिशु क्यों होते हैं जीका सिंड्रोम का शिकार? सामने आई ये वजह
15 साल या उससे ज्यादा की उम्र में- इस उम्र के बच्चे समझदार हो जाते हैं और सेक्स के बारे में अपना एक विचार बना लेते हैं. अच्छा होगा कि आप बातचीत में उसकी सोच को समझने और उसे एक सही दिशा देने की कोशिश करें. सेक्स कैसे और किस उम्र में करना सही होता है, इन सब के बारे में उसे जानकारी दें. बच्चे को पोक्सो एक्ट के बारे में भी बताएं.
पैरेंट्स को ध्यान में रखनी चाहिए ये बातें
- आप ये ना सोचें कि बच्चे से सेक्स के बारे में बात करते ही वे सेक्स चाहने लगेंगे. रिसर्च में देखा गया है कि जिन बच्चों से पैरेंट्स सेक्स के बारे में बात करते हैं, वे इसके लिए शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक तौर पर तैयार होने तक इंतजार करते हैं और पहली बार संबंध बनाने के दौरान कंट्रासेप्टिव का इस्तेमाल भी करते हैं. वे सहमति को ज्यादा अच्छी तरह से समझते हैं और उन्हें पता होता है कि वे ना कह सकते हैं.
- सेक्स से संबंधित बच्चों के सवालों को टालने की कोशिश न करें. बच्चे हर चीज जानना चाहते हैं और इसलिए उनमें उत्सुकता बनी रहती है.
-इंटरनेट के जमाने आजकल बच्चों को आप किसी भी चीज से दूर नहीं रह सकते. अगर आपको लगता है कि बच्चा अपनी उम्र से ज्यादा जानना चाहता है तो उसे शर्मिंदा करने की बजाय उसे प्यार से समझाएं.
-बॉडी पार्ट्स के नाम की सही जानकारी दें. उन्हें किसी और नाम से बुलाने पर बड़े होकर वो चीजों को सहज तरीके से नहीं ले पाते हैं.
ये भी पढ़ें: बच्चों की मेंटल हेल्थ के लिए खतरनाक वायु प्रदूषण, यूनिसेफ का दावा