बच्चों को कई बार हम झूठ बोलकर बहला-फुसला देते हैं. पर आप अगर ये समझते हैं कि बच्चे आपकी बातों में आ गए हैं, तो यह आपकी गलतफहमी है. एक हालिया शोध में यह बात सामने आई है कि ढाई साल अौर इससे ज्यादा उम्र के बच्चे दूसरों की झूठी बातों को समझ सकते हैं. वे लोगों के झूठ बोलने, धोखेबाजी और बहानेबाजी को आसानी से पहचान लेते हैं.
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यह शोध सिंगापुर स्थित नानयांग
टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी
(एनटीयू) के शोधकर्ताओं ने किया है. इस शोध में 140 से ज्यादा बच्चों को शामिल किया गया, जिनकी उम्र ढाई साल थी.
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दरअसल, शोधकर्ता इस गलत धारणा और गलतफमी से पर्दा उठाना चाहते थे कि क्या वाकई ढाई साल के बच्चों को माता-पिता के झूठ का अंदाजा नहीं लगता. शोधकर्ताओं ने संदेह जताया कि बच्चों को इसे समझने के लिए ज्यादा विकसित होना चाहिए. हालांकि शोध के दौरान बच्चे शोधकर्ताओं की उम्मीदों से कहीं ज्यादा निकले.
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एनटीयू के प्रोफेसर सेटोह पी पी ने कहा कि हमारे हमारे
निष्कर्षों से पता चलता है कि
करीब ढाई साल की उम्र के
बच्चों से माता-पिता जब झूठ
बोलते हैं, तो पहचान जाते हैं.
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बच्चों के शिक्षकों को इस बारे
में जागरूक रखना चाहिए कि
बच्चों के शुरुआती संज्ञानात्मक
क्षमताएं पहले के विचारों से
ज्यादा उन्नत हो सकती है.
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