अब भारत पोलियो मुक्त होने के साथ-साथ मातृ एवं नवजात टिटनेस मुक्त भी हो गया है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) ने इसे एक बड़ी उपलब्धि बताई है और भारतीय स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को इस उपलब्धि के लिए बधाई दी है.
15 मई 2015 को मातृ एवं नवजात टिटनेस मुक्त घोषित किया गया. ये पोलियो मुक्त भारत होने के ठीक एक साल बाद हुआ है. आपको बता दें कि डब्लूएचओ ने 27 मार्च 2014 को आधिकारक तौर पर भारत को पोलियो मुक्त घाषित किया था.
डब्लूएचओ की साउथ ईस्ट एशिया की उप क्षेत्रिय निदेश पूनम खेत्रपाल सिंह ने कहा कि नागालैंड मातृ एवं नवजात टिटनेस मुक्त होने वाला देश का आखिरी राज्य था.
उन्होंने कहा कि नेशनल रूरल हेल्थ मिशन 2015 का उद्देश्य ही गांव में जाकर लोगों को स्वास्थ्य के प्रति जागरुक करना था और स्वास्थ्य के बारे में बताना था. इसके लिए नर्स, दाई को प्रशिक्षित भी किया गया, जिससे वह गांवों में जाकर अपनी सेवाएं दे सकें. स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के लिए पोलियो उन्मूलन एक रोल मॉडल साबित हुआ. पूनम ने कहा, 'साल 2012 से भारत को पोलियो मुक्त बनाने के लिए सरकार लगातार प्रयास करती रही.'
यूनीसेफ ने बताया कि साल 1983 में भारत सरकार ने टेटनेस टॉक्सिड का दो डोज ही गर्भवती महिला के लिए शुरू किया था. सरकार ने इस टीकाकरण को राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम में शुरू किया, लेकिन साल 1990 में नवजात टिटनेस अभी भी 80 हजार लोगों की मृत्यु का जिम्मेदार माना जाता है.
पूनम ने बताया कि साल 2013-14 में इसके महज 500 मामले सामने आए. अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के न्यूनैटोलॉजी प्रोफेसर डॉ. विनोट पॉल ने इस उपलब्धि पर खुशी जाहिर की है. उन्होंने कहा, 'मुझे गर्व है कि भारत ने एक ऐसी बीमारी को खत्म किया, जो एक समय में देश में 15 प्रतिशत नवजात की मौत के लिए जिम्मेदार था.'